हरयाणा: हरियाणा के गरीब बच्चे अब निजी स्कूलों में मुफ्त पढ़ाई नहीं कर सकेंगे, सरकार ने खत्म किया नियम-134ए
हरयाणा लेटेस्ट न्यूज़: हरियाणा सरकार द्वारा नियम-134ए को खत्म किए जाने के बाद विपक्ष ने एकजुट से सरकार को घेर लिया है। विपक्ष इस मामले में मुख्यमंत्री से श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर रही है। हरियाणा सरकार द्वारा लिया गया एक फैसला बुधवार को देर शाम सार्वजनिक हुआ, जिसमें सरकार ने नियम-134ए के तहत निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले बंद कर दिए हैं। नर्सरी से पहली कक्षा तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दाखिले दिए जाएंगे, जिसमें संशोधन का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है।
नियम 134-ए के तहत हर साल दाखिलों पर विवाद के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है। इससे जहां निजी स्कूल संचालक खुश हैं, वहीं बच्चे और अभिभावक निराश हैं। सरकार का तर्क है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दूसरी से बारहवीं तक की कक्षाओं में सीधे दाखिले का नियम नहीं है। नियम 134-ए के तहत निजी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक की कक्षाओं में दस प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों के मेधावी छात्रों के लिए आरक्षित हैं। मौजूदा शैक्षिक सत्र में कुल 21 हजार 577 बच्चों को नियम-134ए के तहत दाखिला मिला, जबकि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद निजी स्कूलों ने 11 हजार 706 बच्चों को दाखिला देने से मना कर दिया। आरटीई के तहत बच्चों को पढ़ाने के बदले सरकार हर साल 25 हजार रुपये तक की प्रतिपूर्ति देती है। इसमें 60 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत हिस्सा प्रदेश सरकार देती है। प्रदेश में 80 प्रतिशत निजी स्कूल ऐसे हैं जिनकी मासिक फीस दो हजार रुपये से कम है। इससे अभिभावकों और स्कूल संचालकों में झगड़े खत्म होंगे। नियम-134ए के तहत स्कूल संचालकों को ग्रामीण क्षेत्रों में पांचवीं कक्षा तक 500 रुपये और छठी से आठवीं तक 700 रुपये प्रति बच्चा तथा शहरी क्षेत्र में पांचवीं कक्षा तक 700 रुपये और छठी से आठवीं कक्षा तक 900 रुपये प्रतिपूर्ति फीस दी जा रही है।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के मुताबिक नियम 134ए के तहत दाखिले के लिए इस वर्ष कुल 66 हजार 495 छात्रों ने आवेदन किया जिनमें से 55 हजार 29 विद्यार्थी निजी स्कूलों के तथा 11 हजार 466 बच्चे सरकारी विद्यालयों के थे। इससे साफ है कि नियम 134ए का फायदा अधिकतर निजी विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र ही उठा रहे हैं, जबकि प्रावधान सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे गरीब मेधावी छात्रों के लिए बनाया गया था।वर्ष 2015-16 से अब तक निजी स्कूलों को 70 करोड़ 31 लाख रुपये प्रतिपूर्ति के रूप में दिए गए हैं। प्रदेश सरकार बड़ी संख्या में माडल संस्कृति स्कूल स्थापित कर रही है जिससे बच्चों को और बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।