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हरियाणा न्यूज: सच से दूर हैं सेक्टरों के आंतरिक विकास प्लान

Gulabi Jagat
10 July 2022 3:45 PM GMT
हरियाणा न्यूज: सच से दूर हैं सेक्टरों के आंतरिक विकास प्लान
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हरियाणा न्यूज
अगर आप जमीन खरीदकर सीएलयू (चेंज आफ लैंड यूज/भूमि उपयोग परिवर्तन) के लिए आवेदन कर रहे हैं तो जरा संभलकर। मामला दावों जितना सरल नहीं है। नियमों का मकड़जाल इतना गहरा है कि उलझे तो बस उलझते चले जाएंगे। सीएलयू के आवेदन
से पहले सेक्टरों के आंतरिक विकास प्लान (इंटरनल डेवलपमेंट प्लान) की पूरी पड़ताल कर लें। अधिकांश शहरों के फाइनल/ड्राफ्ट डेवलपमेंट प्लान (मास्टर प्लान) तैयार हैं। इनकी सूची आसानी से आनलाइन उपलब्ध हैं, मगर सेक्टरों के आंतरिक प्लान के लिए आपको चक्कर लगाने
ही होंगे। आंतरिक प्लान सच से कोसों दूर है। धरातल से मेल नहीं
सेक्टरों के आंतरिक प्लान धरातल से मेल नहीं खाते। कागजों में खींची रेखाएं कागजी है। जहां ओपन स्पेस दिखाया है वहां आबादी या कुछ और है। आंतरिक प्लान जमीनी सच छुपाकर बनाए गए हैं। सेक्टर की विकास योजनाओं में लालडोरा के बाहर के आबादी के विस्तार को नहीं दर्शाया गया है। जहां चौड़ी सड़कें हैं, वहां वर्षों पुराने मकान हैं। अगर सीएलयू से जुड़े किसी अधिकारी की निगाह टेढ़ी हुई तो आपकी जमीन में एसटीपी, बिजली घर, कालेज या स्कूल जैसी कोई भी परियोजना प्रस्तावित बताकर आवेदन निरस्त किया जा सकता है। आंतरिक संरचना तय करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। अधिकारियों ने मनमानी, चांदी की चमक या लापरवाही रेखाएं खींचती है। कार्यालय में बैठकर किसी गांव को इनाम व किसी को दंड दिया गया है। सीएलयू केवल उन्हें, जहां पहले से सड़कें
जिन शहरों के डेवलपमेंट प्लान स्वीकृत हो चुके हैं, वहां पर दीनदयाल आवास योजना आदि के लिए सीएलयू केवल उन्हीं को दी जा रही है, जिनकी जमीन पहले से कम से कम 30 फुट चौड़े सार्वजनिक रास्ते या सड़क से लगी है। पिछले पांच-छह वर्षों के दौरान अपवादों को छोड़कर सरकार ने सेक्टरों के अंदर निर्धारित सड़कों के लिए न जमीन अधिग्रहीत की है और न निर्माण किया है। एमबीआइआर (मानेसर बावल इंवेस्टमेंट रीजन) जैसे नए बसने वाले औद्योगिक-वाणिज्यिक शहरों का अभी तक ड्राफ्ट प्लान ही बना हुआ है। कई अन्य शहरों में भी ऐसा ही है। अज्ञात कारणों से कई वर्ष बाद भी ऐसे शहरों का ड्राफ्ट प्लान, फाइनल में तब्दील नहीं किया गया है। बिना फाइलन हुए ड्राफ्ट प्लान के आधार पर कोई कालोनाइजन या अन्य, सीएलयू नहीं ले सकता। इस अज्ञात कारण के पीछे का सच भी सामने लाना जरूरी है। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने जागरण से बातचीत में माना कि न केवल सीएलयू का खेल दलालों-अधिकारियों के गठजोड़ के शिकंजे में है बल्कि ड्राफ्ट प्लान को फाइनल करने में देरी के पीछे भी खास चेहरे हैं। जागरण सुझाव:
-सभी शहरों के ड्राफ्ट प्लान बिना देरी फाइनल किए जाएं।
-सभी शहरों के सेक्टरों के इंटरनल प्लान किला नंबर के साथ आनलाइन उपलब्ध हों।
-जिस किसान की जमीन में कोई बिजली घर, कालेज या ग्रिड बनना प्रस्तावित हो, उसे इसकी पूर्व सूचना दी जाए ताकि आपत्ति दर्ज करा सके।
-ग्रिड या कालेज या कोई अन्य परियोजना तय करने नियम सार्वजनिक हों।
-यह बताया जाए कि ग्रिड या कालेज होने की स्थिति में सीएलयू कभी भी नहीं मिलेगी या छूट पाने के लिए कोई नियम हैं।
-अपनी जमीन पर खुद का घर, दुकान या पारपंरिक व्यवसाय करने वालों के लिए सीएलयू के नियम सार्वजनिक हों।
-छोटे भूखंड धारकों व किसानों को लोक संपर्क विभाग के माध्यम से सीएलयू के लिए प्रेरित किया जाए।
Gulabi Jagat

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