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हरियाणा : दादी ने चलाई शिक्षा की बेल, मां ने उसे संभाला, चार में से तीन लड़कों ने हासिल की नौकरी
Tara Tandi
17 Sep 2023 12:51 PM GMT

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शहीद मेजर आशीष की दादी ने पुराने समय में अनपढ़ होकर भी शिक्षा के महत्व को समझा और अपने चारों बेटों को खूब पढ़ाया। इसी बेल को मां कमला देवी ने संभालकर रखा। इसकी बदौलत मेजर आशीष पढ़-लिखकर सेना में लेफ्टिनेंट पद पर भर्ती हुए और जरूरत पड़ने पर देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। आज जहां शहीद मेजर आशीष की शहादत को हर कोई सैल्यूट कर रहा है, वहीं उनकी दादी छन्नो देवी और मां कमला देवी के अपने परिवार को अच्छी शिक्षा देकर आगे ले जाने की सराहना हो रही है।
शहीद मेजर आशीष के दादा-दादी ने जमीन कम होने पर मेहनत कर बच्चों को बनाया शिक्षित
ग्रामीण बताते हैं कि मेजर आशीष के दादा रतन सिंह साधारण इंसान थे। वे एक से डेढ़ एकड़ जमीन पर खेती कर अपने परिवार का गुजर-बसर करते थे। उस समय खेती की आधुनिक तकनीक भी नहीं थी। दादी छन्नो देवी ने अनपढ़ होने के बावजूद शिक्षा का महत्व समझा। उन्होंने अपने चारों लड़कों लालचंद, दिलावर, दिलबाग और बलवान को ठीक से पढ़ाया लिखाया। उनके इस प्रयास से लालचंद नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड पानीपत में क्लर्क बने और दिलावर ने एयरफोर्स ज्वाइन की।
आशीष की दादी छन्नो देवी अनपढ़ होते हुए भी जानती थीं शिक्षा का महत्व
दिलबाग गुरुग्राम में नौकरी करने चले गए। चौथे बेटे बलवान ने गांव में रहकर परिवार को संभाला। दिलावर ने एयरफोर्स से सेवानिवृत्ति के बाद नेशनल फर्टिलाइजर में नौकरी कर ली। उन्होंने अपने बच्चों को खूब पढ़ाया लिखाया। ग्रामीण रमेश धौंचक ने बताया कि लालचंद ने कुछ समय अपने बच्चों को गांव में ही रखा। उनकी पत्नी कमला ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं, लेकिन वह भी अपनी सास की तरह शिक्षा को महत्व देती थीं। उन्होंने गांव में एक प्राइवेट स्कूल में ज्वाइन किया।
चौथे ने संभाली घर की जिम्मेदारियां
मेजर आशीष की प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। वे बाद में एनएफएल में आकर रहने लगे। शहीद मेजर आशीष ने स्कूली शिक्षा एनएफएल स्थित केंद्रीय विद्यालय से पूरी की। इसके बाद बीटेक किया। वह एमटेक करने के दौरान सेना में भर्ती हो गए। उनके चाचा दिलावर के बेटे विकास उनसे छह महीने पहले सेना में लेफ्टिनेंट बने। वह इंजीनियरिंग लाइन में चले गए, जबकि आशीष को बचपन से ही दुश्मनों से सीधे टकराने का सपना था तो उन्होंने सामान्य ड्यूटी ज्वाइन की।
शहीद मेजर की पत्नी ज्योति पर उम्मीद
शहीद मेजर आशीष धौंचक की पत्नी ज्योति पर सबकी उम्मीद है। वह हर समय खोई-खाेई रहती हैं। तीन साल की बेटी वामिका को अधिकतर समय गले से लगाए रहती हैं। पिता लालचंद और मां कमला देवी भी बेटे को खोकर अंदर से टूट से गए हैं। उनसे चौथे दिन भी बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन परिजनों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत के किस्से आज भी गांव में लोगों की जुबां पर हैं।
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