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हरियाणा सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के केंद्र सरकार के फैसले को धरातल पर लागू करने के लिए तैयारी

Ritisha Jaiswal
25 July 2022 1:00 PM GMT
हरियाणा सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के केंद्र सरकार के फैसले को धरातल पर लागू करने के लिए तैयारी
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हरियाणा सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के केंद्र सरकार के फैसले को धरातल पर लागू करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है

हरियाणा सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के केंद्र सरकार के फैसले को धरातल पर लागू करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है। प्लास्टिक की ऐसी वस्तुएं जिन्हें केवल एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है, उन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में गिना जाता है।यदि सौ ग्राम तक सिंगल प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है तो आरोपित व्यक्ति पर 500 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। हरियाणा सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रचलन पर रोक लगाने के लिए जुर्माने की राशि निर्धारित की है।

साथ ही व्यापारिक संस्थानों से अनुरोध किया है कि वह सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के फैसले को धरातल पर लागू करने में सरकार की मदद करें। इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारियों को भी जरूरी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। 101 से पांच सौ ग्राम तक सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर डेढ़ हजार रुपये जुर्माना वसूल किया जाएगा, जबकि 501 ग्राम से एक किलो तक इस्तेमाल पर जुर्माने की राशि तीन हजार रुपये होगी।
एक किलो से पांच किलो तक सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल करने वालों पर राज्य सरकार ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है, जबकि पांच किलो से दस किलो तक इस्तेमाल करने वाले लोगों पर 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
10 किलो से ऊपर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वालों को 25 हजार रुपये के जुर्माने का भुगतान करना होगा। आमतौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग में किया जाता है। इनमें किराना बैग, खाद्य पैकेजिंग, सिगरेट बट्स, प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक के ढक्कन, स्ट्रा और स्टिरर, प्लास्टिक के कंटेनर, कप और कटलरी का सामान शामिल होता है।
अधिकतर प्लास्टिक नष्ट होने वाले या बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं। इसके बजाय वे धीरे-धीरे छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है। एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक से पर्यावरण अव्यवस्थित होता है। अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का भी भारी प्रभाव पड़ता है। देश में सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है।


Ritisha Jaiswal

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