हरियाणा में बड़ा धान घोटाला होने की आशंका है। पांच जिलों करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, यमुनानगर में पिछले साल की तुलना में धान की असामान्य रूप से अधिक आवक हुई है। पांचों जिलों में धान की आवक पूरे सीजन के लिए अनुमानित लक्ष्य तक पहुंच गई है। अब तक प्रदेश में 38.48 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है, जबकि इसी अवधि के दौरान पिछले साल 26.7 लाख मीट्रिक धान की खरीद की गई थी।
इस साल पिछले सीजन के मुकाबले 11 लाख मीट्रिक टन धान की अधिक खरीद दिखाई गई है। भारतीय खाद्य निगम ने इसी आशंका के चलते इस मामले को गंभीरता से लिया है। निगम ने फैसला लिया है कि फर्जीवाड़ा पकड़ने के लिए इस बार राज्य सरकार की टीम के साथ एफसीआई के अधिकारी भी राइस मिलों की फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगे।
हरियाणा में इस बार 50 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। बेमौसमी बारिश होने के बावजूद इस साल धान की खरीद में तेजी है। पिछले दिनों करनाल, जुंडला, असंध और पलवल में करोड़ों रुपये के फर्जी गेट पास काटे जाने के मामले सामने आ चुके हैं। सीएम फ्लाइंग जब राइस मिलों की जांच की तो वहां पर विभाग द्वारा खरीदा गया धान मिला ही नहीं। ऐसे में आशंका है कि बासमती धान को गैर बासमती दिखाकर केवल कागजों में उसकी खरीद कर दी गई।
इन मामलों के सामने आने के बाद भारतीय खाद्य निगम सतर्क हो गया है। इस संबंध में निगम ने हरियाणा के मुख्य सचिव के साथ बैठक भी की है। बैठक में सभी राइस मिलों की संयुक्त रूप से फिजिकल वेरिफिकेशन करने का निर्णय लिया है, ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके। इसके अलावा, सीएमआर के समय सभी मिलों के बिजली मीटर की रीडिंग चेक करने का भी प्रस्ताव दिया है। गौरतलब है कि हरियाणा में इस साल 13.19 लाख हेक्टेयर में धान लगाई गई है। इससे केंद्रीय पूल में धान की अनुमानित खरीद 55 एलएमटी है।
एससीआई सतर्क, फर्जीवाड़ा बर्दास्त नहीं: अमित भूषण
फर्जी खरीद की आशंकाओं पर एफसीआई ने कड़ा संज्ञान लिया है। भारतीय खाद्य निगम हरियाणा के महाप्रबंधक अमित भूषण ने कहा कि कई जिलों से फर्जी खरीद की बातें सामने आ रही हैं। एफसीआई किसी भी सूरत में फर्जीवाड़ा बर्दास्त नहीं करेगा। इसके लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर एफसीआई अधिकारी मिलों में भौतिक जांच करेंगे।
राइस मिल के स्टॉक के साथ मीटर की रीडिंग चेक का भी प्रस्ताव है, ताकि ये पता लग सके कि मिल चला है या नहीं। या फिर कहीं बाहर से चावल लाकर वापस दिया जा रहा है। पुराने चावल की जांच के लिए निगम डिलीवरी से पहले चावल का लिटमस टेस्ट करेगा। इससे पता लग जाएगा कि चावल इसी साल का है या फिर कई साल पुराना है। महाप्रबंधक ने मिल मालिकों को चेताया है कि अगर किसी ने गड़बड़ी की कोशिश की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यूं की जाती है गड़बड़ी
दरअसल, मंडियों में आढ़ती, मिलर्स, मार्केट कमेटी समेत खरीद एजेंसियों के गठजोड़ से फर्जी गेट पास काटे जाते हैं। इसके तहत बासमती धान को गैर बासमती (पीआर) दिखाया जाता है, क्योंकि पीआर धान की सरकार एमएसपी पर खरीद करती है। मिलर्स इसी फर्जी खरीद को अपने मिल के नाम अलॉट करा लेते हैं और बाद में यूपी और बिहार से सस्ता चावल लाकर वापस एफसीआई को देते हैं। मिलर्स को मिलिंग के बदले चार्ज दिया जाता है और 100 किलोग्राम चावल के बदले उन्हें 67 किलोग्राम चावल एफसीआई को देना होगा।
ये हैं खरीद के आंकड़े
हरियाणा में अब तक 38.48 लाख एमटी धान की खरीद की जा चुकी है। इनमें करनाल में पिछले साल 12.83 लाख एमटी के मुकाबले इस बार 17.62 लाख एमटी, कुरुक्षेत्र में 11.32 के मुकाबले 17.21 लाख एमटी की खरीद की जा चुकी है। एजेंसी की बात करें तो सबसे अधिक डीएफएससी ने 21.30, हरियाणा वेयर हाउस 5.39 लाख और हैफेड 11.75 लाख एमटी धान की खरीद कर चुकी है।