हरियाणा इंजीनियर्स वक्र्स पोर्टल: पोर्टल नही हुआ कम्पलीट, विकास कार्यों की ग्रांट रुकी
हरियाणा सरकार द्वारा विकास कार्यों में पारदर्शिता व टेंडर प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के लिए शुरू किया गया 'हरियाणा इंजीनियर्स वक्र्स पोर्टल' अधर में लटक गया है। बिना कम्पलीट किए ही यह पोर्टल लांच कर दिया गया है। अब शहरी स्थानीय निकायों का मंजूरशुदा बजट भी रुक गया है। 52 नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में चुनाव होने हैं। उनके लिए विकास कार्यों के लिए स्पेशल 385 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। पोर्टल में तकनीकी खामियों के चलते यह पैसा अभी तक भी निकायों के पास नहीं पहुंचा है। अहम बात यह है कि 385 करोड़ रुपये के बजट को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा 21 जनवरी को मंजूरी दी गई थी। बाद में सरकार ने तय किया कि इंजीनियरिंग वक्र्स से जुड़े सभी कार्यों के टेंडर इसी पोर्टल के जरिये दिए जाएंगे। पोर्टल में प्रशासनिक मंजूरी का तो प्रावधान किया है लेकिन टेक्निकल परमिशन का इसमें विकल्प ही नहीं है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए मंजूर हुआ पैसा तीन महीनों से सरकार के पास ही पड़ा है।
दरअसल, जिन निकायों के लिए यह फंड मंजूर हुआ था, उनमें से अधिकांश का कार्यकाल पिछले साल जून में पूरा हो चुका है। वर्तमान में ये निकाय प्रशासकों के हवाले हैं। निकायों के चुनावों की तैयारियों के बीच ही सरकार ने विकास कार्यों के लिए केवल इन्हीं निकायों को अपनी डिमांड भेजने को कहा था। निकायों की ओर से 1645 विकास कार्यों के लिए 940 करोड़ रुपये की डिमांड की गई। सीएमओ ने 940 करोड़ रुपये में से 385 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। यह पैसा केवल उन्हीं निकायों के लिए मंजूर हुआ था, जिनमें चुनाव होने हैं। बाकी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं का कार्यकाल अभी बचा हुआ है। ऐसे में इन निकायों में नियमित रूप से पैसा जा रहा है। बेशक, विकास कार्य चुनाव वाले निकायों में भी चल रहे हैं लेकिन विशेष बजट का पैसा उन्हें अभी तक नहीं मिला है। सर्वाधिक 29 करोड़ 40 लाख रुपये अंबाला कैंट नगर परिषद के लिए मंजूर हुआ था। सबसे कम 58 लाख रुपये लाडवा नगर पालिका के लिए मंजूर हुए थे।