इस बारे में रोडवेज जीएम कुलदीप जांगड़ा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस मामले का खुलासा बैच नंबर 1209 के सर्टिफिकेट जारी करने के दौरान हुआ था। दरअसल, हैवी लाइसेंस की ट्रेनिंग देने के लिए ड्राइवर सुनील कुमार, ड्राइवर प्रदीप व ड्राइवर नरेश को नियुक्त किया हुआ है। पूर्व में रहे जीएम ने सुनील कुमार को इन ट्रेनरों का इंचार्ज बनाया था। इतना ही नहीं, इंचार्ज सुनील कुमार ने रोडवेज डिपो में एक प्राइवेट व्यक्ति को अवैध रुप से डाटा एंट्री ऑपरेटर लगाया हुआ था। उक्त बैच नंबर में 129 लोगों को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस दी जानी थी।
तीनों ड्राइवरों ने उनसे 20 हजार रुपए प्रति अभ्यर्थी लेकर बिना उनके आए डाटा एंट्री ऑपरेटर से हाजिरी ऑनलाइन भरवा दी। उनके सर्टिफिकेट जारी करने के लिए रोडवेज जीएम की टेबल पर साइन करने के लिए सर्टिफिकेट रख दिए। इन सर्टिफिकेटों पर साइन करने के दौरान जीएम के नजर में कई तथ्य सामने आए। जिसके बाद उन्होंने इस बारे में जांच करने के लिए AO, ADA व OS की एक संयुक्त टीम गठित कर दी। जिनकी एक माह की जांच में इस भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ।