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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का पोर्टल करीब डेढ़ साल से हैं ख़राब, राशन कार्ड के बिना लोगो को हो रही हैं परेशान

Admin Delhi 1
28 July 2022 10:31 AM GMT
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का पोर्टल करीब डेढ़ साल से हैं ख़राब, राशन कार्ड के बिना लोगो को हो रही हैं परेशान
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रेवाड़ी न्यूज़: राशनकार्ड (Ration Card) के विकल्प के तौर पर भले ही सरकार ने परिवार पहचान पत्र बनवा दिए हों, परंतु वास्तविकता यह है कि अभी तक कई मामलों में पीपीपी राशनकार्ड का पूरी तरह से स्थान नहीं ले पाया है। नौकरियों से लेकर विद्यार्थियों के दाखिले तक के लिए राशनकार्ड जरूरी है, लेकिन लोगों के राशनकार्ड बनाने का कार्य पूरे डेढ़ साल से ठप पड़ा है। पीपीपी का कार्य शुरू होने के बाद गत वर्ष फरवरी माह में राशनकार्ड का पोर्टल बंद किया था, जिसे आज तक शुरू नहीं किया गया है। परिवार पहचान पत्र बनने के बावजूद राशनकार्ड की मांग कई विभागों में अनिवार्य रूप से की जाती है। कई शिक्षण संस्थानों में बच्चों के प्रवेश के समय राशनकार्ड की मांग की जाती है। जिन बच्चों का जन्म बाद में हुआ है, उनके अभिभावकों के लिए बच्चों के नाम राशनकार्ड में शामिल कराना नामुकिन बना हुआ है। लड़कियों की शादी के बाद न तो मायके में राशनकार्ड से उनका नाम काटना संभव है और न ही ससुराल में राशनकार्ड में नाम शामिल करना। कई प्रमाणपत्र बनवाने से लेकर कोर्ट के कार्यों तक में राशनकार्ड की मांग की जाती है। जिन लोगों के राशनकार्ड गुम हो चुके हैं, पोर्टल नहीं चलने के कारण उनके लिए डुप्लीकेट राशनकार्ड बनवाना भी मुश्किल हो रहा है।

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से परिवार पहचान को राशनकार्ड के साथ लिंक करने के लिए कुछ समय के लिए पोर्टल बंद किया गया था। परिवार पहचान पत्रों का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इसके बावजूद विभाग की ओर से अभी तक पोेर्टल शुरू नहीं किया गया है। इससे राशनकार्ड में नए नाम नहीं जुड़ पा रहे हैं। पुराने राशनकार्डों में दर्ज जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम भी नहीं काटे जा सकते हैं। पोर्टल बंद करने के बाद इसे शुरू नहीं किया जाना बड़ी संख्या में लोगों के लिए आफत साबित हो रहा है।

चक्कर काटकर लौट रहे लोग: राशनकार्ड का कार्य ऑनलाइन होने के बाद विभाग के पास मैनुअल राशनकार्ड तैयार करने का विकल्प भी नहीं बचा है। जिन लोगों को कोर्ट या अन्य कार्यों के लिए राशनकार्ड बनवाने की आवश्यकता होती है, वह विभाग के कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हो जाते हैं। जरूरतमंद लोग संबंधित कर्मचारियों के साथ झगड़ा करने तक पर उतारू हो जाते हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए लोगों को जवाब देना मुश्किल हो जाता है। अधिकारी भी इस बात को लेकर काफी परेशान हैं कि आखिर पोर्टल को शुरू क्यों नहीं किया जा रहा। पीपीपी से राशनकार्ड को लिंक करने के लिए पोर्टल बंद किया गया था। पीपीपी को लिंक करने का कार्य पूरा हो चुका है। पोर्टल शुरू करने का निर्णय मुख्यालय स्तर पर और सरकार को लेना है। -अशोक रावत, डीएफएससी।

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