हरियाणा
कभी भी खोले जा सकते हैं फ्लड गेट, खतरे के निशान के करीब पहुंचा चंडीगढ़ सुखना लेक का जलस्तर
Gulabi Jagat
10 July 2022 12:16 PM GMT
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जून के आखिर तक जहां भीषण गर्मी ने सभी को परेशान कर रख दिया था। हर कोई गर्मी से त्रस्त होकर बचने के उपायो में जुटा था। इतना ही नहीं गर्मी से झील, तालाब सब सूख रहे थे। चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक की हालत तो वर्ष 2016 जैसी होने लगी थी जब पानी सूखने की वजह से लेक में बोटिंग वाटर स्पोर्ट्स सब बंद करना पड़ा था। लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि एक सप्ताह के सावन में ही लेक के अच्छे दिन लौट आएंगे।
चंडीगढ़ में मानसून की दस्तक के बाद झमाझम बारिश हो रही है। बारिश के पानी से सुखना लेक लबालब हो चुकी है। नौबत अब लेक के फ्लड गेट खोलने की आ गई है। लेक का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच गया है। रविवार सुबह तेज बारिश के बाद लेक का जलस्तर 1161.5 फीट के पास पहुंच गया। जलस्तर को 1162 फीट के पास खतरे के निशान से ऊपर माना जाता है। 1163 फीट होते ही फ्लड गेटे खोलने पड़ते हैं। अब कभी भी लेक के फ्लड गेट खोले जा सकते हैं।
24 घंटे हो रही मानीटरिंग
सुखना लेक का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंचने पर यूटी प्रशासन अलर्ट पर है। प्रशासन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की टीम 24 घंटे लेक की मानीटरिंग कर रही है। अब कभी भी लेक के फ्लड गेट खोले जा सकते हैं। इससे पहले प्रशासन ने पंचकूला और मोहाली प्रशासन को भी इसकी सूचना देकर अलर्ट भेज दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि सुखना चौ से होकर लेक का पानी घग्गर पहुंचता है। सुखना चौ चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया से होते हुए बलटाना के रास्ते घग्गर तक पहुंचती है। चौ के रास्ते में बापू धाम, इंडस्ट्रियल एरिया की कालोनी सहित कई रिहायशी एरिया पड़ते हैं। इस वजह से प्रशासन फ्लड गेट खोलने से पहले सभी सुखना चौ क्रासिंग पर पुलिस तैनात कर अलर्ट करेगा।
अभी तक करीब 300 एमएल बारिश
जून के आखिर में सुखना का पानी कम होकर 1154 फीट तक नीचे गिर गया था। जुलाई के शुरू होते ही पहली तारीख को बारिश हुई थी। इसके बाद कई बार तेज बारिश हो चुकी है। अभी तक लगभग 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है। इससे लेक के जलस्तर में बड़ा उछाल आया है।
बारिश के साथ गंदगी भी पहुंच रही लेक
सुखना लेक में कैचमेंट एरिया से बरसात का पानी पहुंचता है। शिवालिक की पहाड़ियों में बारिश ज्यादा हो रही है। पानी का फ्लो लगातार जारी है। पानी के बहाव में रास्ते से पेड़ की टहनिया और गंदगी भी लेक में पहुंच रही है। लेक में जगह-जगह यह देखी जा सकती है।
इस बार भी पिछले साल जैसे हालात
पिछले साल चार बार लेक के फ्लड गेट खोलने पड़े थे। एक बार पानी छोड़ने के बाद दोबारा बारिश तेज होने पर जलस्तर बढ़ने पर खोलने पड़े। इस बार भी ऐसा ही लग रहा है। मानसून को आए अभी एक सप्ताह ही हुआ है और लेक के फ्लड गेट खोलने की नौबत आ गई है। इससे ऐसा लग रहा है कि कई बार फ्लड गेट खोलने पड़ेंगे।
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