हरियाणा
किसान तैयार कर सकते हैं ये विशेष अर्क, कपास को सुरक्षित रखने के लिए इस चीज का सहारा
Gulabi Jagat
5 July 2022 10:49 AM GMT
x
किसान तैयार कर सकते हैं विशेष अर्क
खेतों में खड़ी कपास पर बदलते हुए तापमान व आर्द्रता के साथ रस चूसक कीटों के प्रकोप का खतरा बढ़ जाता है। फिलहाल स्थिति भी रस चूसक कीटों के प्रकोप के लिए अनुकूल मानी जा रही है। ऐसे में किसानों को सावधान रहने की जरूरत हैं, ताकि कपास को रस चूसक कीटों के प्रकोप से बचाया जा सके।
ऐसी स्थिति में किसान समय-समय पर खेतों का निरीक्षण करते रहें। साथ ही जब रस चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें, तो उसका तुरंत बचाव करना चाहिए। किसान रस चूसक कीटों का उपचार करने के लिए पहले दवाईयों का इस्तेमाल ना करें, बल्कि नीम के अर्क या नीम के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिससे रस चूसक कीटों के प्रकोप को रोका जा सकता है।
इस तरह बनाएं नीम का अर्क
कृषि विशेषज्ञ कुलदीप शर्मा के मुताबिक मौसम को देखते हुए रस चूसक कीटों (सफेद मक्खी व हरा तेला आदि) का प्रकोप बढ़ सकता है। इसलिए किसान रस चूसक कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए नीम का अर्क या नीम के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नीम का अर्क बनाने के लिए किसान नीम की निंबोली (नीम का फल), पत्ते व टहनियों को पानी में अच्छे से उबाल लें।
जिसे पानी को ठंडा होने के लिए रख दें। उससे अगले दिन नीम की पत्ते, टहनियों व निंबोलियों को कपड़े से छानकर निकाल लें। जो पानी का घोल बचेगा उस पानी के घोल का खेत में छिड़काव कर दें। घोल के इस्तेमाल से रस चूसक कीटों के प्रकोप को काफी हद तक रोका जा सकता है। दवाई से पहले इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
दवाईयों का कर सकते हैं इस्तेमाल
अगर खेती में रस चूसक कीटों का प्रकोप अधिक है तो दवाईयों का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसान रोगोर नामक दवाई की 200-250 मिली लीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें। वहीं इमिडाक्लोप्रिड नामक दवाई की करीब 40 एमएल मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे कर सकते हैं।
किसान इससे पहले अपने खेतों की निरंतर निगरानी रखें। जब भी फसलों में किसी बीमारी का प्रकोप दिखाई दे तो कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर इसका उपचार करें। ताकि फसलों को सुरक्षित रखा जा सके और अच्छी पैदावार हो।
Next Story