हरियाणा

किसान 2 घंटे में खा गया दो किलो से ज्यादा चूरमा, बनाया अनोखा रिकॉर्ड

Admin4
5 Jan 2023 9:19 AM GMT
किसान 2 घंटे में खा गया दो किलो से ज्यादा चूरमा, बनाया अनोखा रिकॉर्ड
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सोनीपत। चूरमा खाओ प्रतियोगिता के देश मेंं ही नहीं विदेशों में चर्चे हो रहे हैं। इस बार प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए इंग्लैंड से युवा रोहित अहलावत, इलाहाबाद से निशा मिश्रा, उत्तर प्रदेश के खुर्जा से तरूण, उत्तर प्रदेश के मोदी नगर से पंकज पहुंचे। प्रतियोगिता के दौरान प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पुरुष व महिलाएं हरियाणावी परिधान में पहुंचे। जोकि इस कार्यक्रम की विशेषता भी रही। युवाओं में भी पगड़ी बांधकर पहुंचने का क्रेज नजर आया। चूरमा खाओ प्रतियोगिता में 115 प्रतिभागियों ने भाग लेते हुए प्रतिभा दिखाई। जिसमें 75 पुरुष, 25 महिलाएं और 15 अंडर-10 आयुवर्ग के बच्चे शामिल हुए। सभी में अधिक से अधिक चूरमा खाने की होड़ लगी रही।
सोनीपत के गांव सिसाना निवासी कमांडो आशीष दहिया ने बताया कि हरियाणवी संस्कृति और यहां के देसी खानपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर यह अनोखी प्रतियोगिता शुरू की है। यह दूसरी ही प्रतियोगिता है, लेकिन इसके चर्चे देश के साथ विदेशों में भी हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणवी संस्कृति की अलग पहचान होने के साथ ही यहां का लजीज खानपान भी निराला है। जो कि पौष्टिक भी है। इस प्रकार के आयोजन हमारे खानापान को आगे बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी हैं। प्रतियोगिता में गांव रोहणा निवासी 57 वर्षीय किसान सुरेश ने 2.180 ग्राम चूरमा खाकर पहला स्थान प्राप्त किया है। पानीपत के गोरे ने 2.0 किलो चूरमा खाकर दूसरा, मटिंडू निवासी हवा सिंह ने 1.800 किलोग्राम चूरमा खाकर तीसरा, थाना कला के रामकुमार ने 1.725 किलोग्राम चूरमा खाकर चौथा स्थान, नुना माजरा के सुभाष ने 1.700 किलोग्राम चूरमा खाकर पांचवां और इस्माइला के प्रदीप ने 1.590 ग्राम चूरमा खाकर छठा स्थान प्राप्त किया है।
वहीं चूरमा प्रतियोगिता में महिलाएं भी पीछे नहीं रही। निधि ने एक किलोग्राम चूरमा खाकर पहला, साक्षी ने 800 ग्राम चूरमा खाकर दूसरा और सिलाना निवासी माही ने 380 ग्राम चूरमा खाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। जबकि अंडर-10 में यक्ष ने 415 ग्राम चूरमा खाकर पहला स्थान पाया। प्रतियोगिता को दूसरी बार अपने नाम करने वाले किसान सुरेश ने बताया कि वह देसी खानपान को बहुत पसंद करते है। उनका कहना है कि दूध-चूरमा उनका पसंदीदा व्यंजन है, जिसके चलते वह सप्ताह में दो से तीन बार इसे जरूर खाते हैं। देसी भोजन खाकर वह खेतों में कड़ी मेहनत कर पाते हैं। यही कारण है कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में सबको पछ़ाड़ते हुए पहला स्थान प्राप्त किया। बीते दिनों कंसाला में हुई चूरमा प्रतियोगिता में भी उन्होंने दूसरा स्थान पाया था।
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