Faridabad: रंगदारी मांगने के मामले में आरोपी को जमानत मिली

फरीदाबाद: कॉल कर 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में जिला अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी है। वहीं अदालत ने आदेश की एक कॉपी फरीदाबाद पुलिस को भेजकर मामले में जांच करने के निर्देश दिए हैं। जिसमें अदालत ने कहा है कि बगैर सबूत के केस में संगठित अपराध की धारा लगाने और उम्र की जांच किए बगैर गिरफ्तारी करने के मामले की जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई की जाए।
सेक्टर-17 थाने में अवैध वसूली, संगठित अपराध आदि धाराओं में ये एफआईआर 16 मई 2025 को दर्ज हुई थी। अभिषेक नामक व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत दी थी कि 15 मई 2025 की शाम 7 बजे उन्हें एक नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने कहा कि वो इटावा से महाकाल बात कर रहा है। आरोपी ने धमकी दी कि अपना व्यवसाय शांति से करना है तो 20 लाख रुपये देने होंगे। पुलिस को सूचना देने पर मारने की धमकी दी गई। एफआईआर दर्ज कर जांच करते हुए पुलिस ने 18 मई 2025 को यूपी इटावा से युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोप है कि युवक का जन्मतिथि प्रमाण पत्र लिया गया जिसमें स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार जन्मतिथि 26 जून 2008 है। कॉल करने में प्रयोग हुआ मोबाइल भी पुलिस ने बरामद किया।
युवक की जमानत याचिका अदालत में दायर कर वकील ने दलील दी कि युवक जेल में है और अब उससे पूछताछ या जांच जरूरी नहीं है। पुलिस पर आरोप लगाया कि बगैर किसी सबूत के केस में संगठित अपराध की धारा लगा दी गई। जबकि युवक की कोई पुरानी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। उसकी उम्र भी 18 साल से कम है। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से याचिका का विरोध करते हुए दलील दी गई कि इस स्तर पर उनकी राय में संगठित अपराध की धारा बनती है। जन्मतिथि की बात 26 जून 2008 को उन्होंने स्वीकार किया।
दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने कहा कि संगठित अपराध की धारा एफआईआर दर्ज करने के समय प्रारंभिक चरण में लगाई गई थी। लेकिन लगभग 3 सप्ताह बाद तक भी रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं है जो यह दशार्ता हो कि आरोपी संगठित अपराध सिंडिकेट चला रहा है या वह किसी संगठित अपराध का सदस्य है। याचिकाकर्ता की जन्मतिथि का पता लगाने के बाद भी पुलिस ने उसे किशोर मानने के लिए कोई अलग आवेदन नहीं दिया। सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने जमानत के आदेश जारी कर दिए।
