जींद क्राइम न्यूज़: दर्द ए दवा कहीं गंभीर बीमारी पैदा न कर दे, जरा जांच परख कर ही कैमिस्टो से दवा लें। जो पैकिंगों में दवाई थमाई जा रही है वे दर्द का इलाजा करेंगी या नहीं यह तो गारंटी नहीं लेकिन गंभीर रूप से बीमार जरूर कर देंगी। हुबहु पैकिंग, दाम भी अच्छे खासे और मैनिफैक्चर तथा एक्सपायरी डेट भी सही, दवा निर्माण स्थल मुम्बई, सोलन तथा बद्दी और पूना, बैच नम्बर, लाइसेंस नम्बर समेत सबकुछ सही दिखाई देगा। ऐसा ही मामला सामने आया है हरियाणा के जींद शहर की श्योराण कालोनी में सामने आया है जहां भविष्य संवारने के शिक्षण संस्थान की आड में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा था। सीएम फ्लाइंग ने छापामार तो एंटीबायोटिक दवाओं के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ भी हो गया। इमारत के बाहर स्कूल का बोर्ड लगा तो अस्थायी शैड में ड्रग फैक्टरी चल रही थी। जिसमे सभी ऑटोमैटिक मशीने और जनरेटर तक का प्रबंध किया गया था। स्कूल की तीसरी मंजिल की मोंटी में भी पैकिंग मशीन लगाई गई थी। जहां पर नकली एंटीबायोटिक का अवैध धंधा हो रहा था वह पूरी तरह वातानुकूलित है। स्कूल को मूलत करनाल हाल आबाद श्योराण कालोनी निवासी गौरव चला रहा है, जबकि स्कूल परिसर के शैड में उसका साला हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी रवि अवैध नकली एंटोबायोटिक दवाओं की फैक्टरी चला रहा था।
लेबर की नहीं जरूरत, ऑटोमैटिक मशीनों से एक ही व्यक्ति करता रहा ऑप्रेट: अवैध ड्रग फैक्टरी में दवाओं को पैक करने समेत अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 'यादा लेबर की जरूरत नहीं थी, ऑटोमैटिक मशीन होने के चलते अकेला व्यक्ति ही रातभर में लाखों की संख्या में कैपसूल तथा गोलियों को पैक कर देता था। दवाओं को पैक करने के लिए बिजली पर निर्भर न रहना पडे इसके लिए बकायदा जनरेटर का भी प्रबंध वहां पर किया गया था। कैपसूलों में पाउडर भरने के लिए अलग से ऑटोमैटिक मशीन लगाई गई थी जबकि गोलियों को पैक करने के लिए अलग से मशीन लगाई गई थी। पांच एमजी से लेकर 500 एमजी तक को पैक करने का पूरा आटोमैटिक स्ट्रैक्चर फैक्टरी में मौजूद था।
मशीनों के करता था स्पेयर पार्टस तैयार, बनाने लग गया दवाइयां: अवैध फैक्टरी को हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी रवि चला रहा था। रवि पहले स्पेयर पार्टस से मशीने तैयार करता था। कुछ समय पहले उसका संपर्क पुरानी सब्जी मंडी के एक कैमिस्ट से हुआ। जिसने एंटीबायोटिक दवाईयों की मशीन तैयार करने तथा पैकिंग करने के लिए कहा। लगभग चार पांच माह पहले रवि ने एंटीबायोटिक दवाओं की पैकिंग का कार्य शुरु किया। रवि के अनुसार कैमिस्ट ही उसे दवाईयां, रेपर व पैकिंग उपलब्ध करवाता था। दवाओं को पैक कर वापस कैमिस्ट को भेज देता था। दस गोली के पत्ते की पैकिंग पर 20 रुपये उसे मिलते थे। जबकि रवि को दवाईयांे के बारे में कोई 'यादा जानकारी भी नहीं है।
भूमिगत हुआ कैमिस्ट, बडे स्तर पर हो रहा था एंटीबायोटिक दवाओं का अवैध धंधा: अवैध एंटीबायोटिक ड्रग फैक्टरी के पकडे जाने और वहां से बरामद हुई दवाओं से साफ जाहिर हो रहा था कि एंटीबायोटिक दवाओं का अवैध धंधा बडे स्तर पर किया जा रहा है और बडे इलाके में सप्लाई भी की जा रही है। जिस कैमिस्ट का नाम सामने आया सीएम फ्लाइंग व अन्य एजेंसियों ने उसके ठिकाने पर छापेमारी भी की लेकिन कैमिस्ट का सुराग नहीं लगा। साथ ही यह भी जानने की कोशिश की आखिर अवैध ड्रग फैक्टरी से एंटीबायोटिक दवाईयां कहां कहां पर सप्लाई हो रही थी।
एकांत में चल रही थी अवैध एंटीबायोटिक ड्रग फैक्टरी: जिस बस्ती और जिस स्कूल के शैड में अवैध एंटीबयोटिक ड्रग फैक्टरी चल रही थी वह स्कूल बस्ती के एकांत में बना हुआ है। आसपास के लोगों को फैक्टरी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। रात को ही तैयार माल को निकाला जाता था। मुख्य सडक से हटकर खेतों को पार करते हुए बनी श्योराण कालोनी के एक तरफ सामान्य अस्पताल की दीवार तो दूसरी तरफ रेलवे लाइन लगती है। अन्य मकानों के पिछवाडे बने स्कूल में फैक्टरी चली हुई थी। आमतौर पर 60-70 बच्चे ही स्कूल में पढने के लिए आते हैं। स्कूल तक पहुंचना भी बाहरी व्यक्ति के लिए आसान नहीं है। स्कूल के बारे में कालोनी के ही लोगों को जानकारी है। स्कूल के अंदर चल रही फैक्टरी के बारे में किसी को जानकारी नहीं है।
अमोक्सीलीन, सीफ्रो जिन, अमोक्सी सिप्रो का होता था उत्पादन: अवैध ड्रग फैक्टरी में दर्द निवारक एंटीबायोटिक अमोक्सीलीन, सीफ्रो जिन तथा अमोक्सी सिप्रो का उत्पादन किया जाता था। जिसमे पांच एमजी से लेकर 500 एमजी तक का उत्पादन होता था। रेपर रेटों पर उनकी कीमत 48 रुपये से लेकर 240 रुपये तक थी। कट्टों में भरी गई गोलियांे तथा पाउडरों को ऑटोमैटिक मशीन में डालकर रेपर व पैकिंग सैट कर दी जाती थी। जिसके साथ ही धडाधड एंटीबायोटिक दवाओं का उत्पादन शुरु हो जाता था। आमतौर पर रात को ही यह कार्य किया जाता था और सप्लाई भी छोटे चार पहिया वाहन से की जाती थी। छोटी पैकिंगों से लेकर बडे कार्टूनों तक का प्रयोग फैक्टरी में किया जाता था।
घरेलू कनैक्शन, कमर्शियल प्रयोग, लोढ मिला ज्यादा: सीएम फ्लाइंग ने जिस समय एंटीबयोटिक ड्रग फैक्टरी पर छापेमारी की उस दौरान टीम के साथ ड्रग विभाग, बिजली निगम की टीम भी साथ थी। जब वहां के लोढ को जांचा गया तो दर्शाये गए लोढ से चार गुणा ज्यादा पाया गया। भारी भरकम मशीनें स्कूल की तीसरी निर्माणाधीन मंजिल में भी रखी गई थी। जिसके बारे में स्कूल संचालक गौरव ने बताया कि वह फूड सप्लीमेंट की यूनिट लगाने जा रहा है। जिसके लिए उसने आवेदन अप्लाई किया हुआ है लेकिन स्कूल परिसर में चल रहे अवैध एंटीबायोटिक दवाओं के अवैध धंधे के बारे में किसी प्रकार की जानकारी न होने के बात कही। केवल वह रवि को स्कूल का शैड लीज पर देने की बात कहता रहा। सीएम फ्लांइग के डीएसपी रविंद्र कुमार ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं की अवैध फैक्टरी की सूचना मिलने पर छापेमारी की गई थी। जिसमे ड्रग विभाग, बिजली निगम के अधिकारी भी शामिल हुए। फैक्टरी अवैध पाई गई है। आगामी कार्रवाई संबंधित विभागों द्वारा लाई जाएगी।
ड्रग विभाग के सीनियर कंट्रोलर गुरुचरण सिंह ने बताया कि अवैध एंटीबायोटिक ड्रग फैक्टरी में एंटीबायोटिक नकली होने के साथ साथ उन्हें पैकिंग भी किया जा रहा था। फैक्टरी से बरामद दवाओं के 11 सैंपल भरकर जांच के लिए लैबोरेटरी भेज दिए गए है। आरोपितों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सिविल लाइन थाना प्रभारी डा. सुनील ने बताया कि अवैध एंटोबायोटिक ड्रग फैक्टरी के संचालक तथा स्कूल संचालक को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। बरामद दवाओं तथा मशीनों को कब्जे में ले लिया गया है। ड्रग कंट्रोलर की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।