हरियाणा

जलस्तर बढ़ने के साथ कटाव खतरा बढ़ा, पानी की धार के साथ बहे पश्चिमी यमुना नहर के किनारे

Gulabi Jagat
10 July 2022 12:13 PM GMT
जलस्तर बढ़ने के साथ कटाव खतरा बढ़ा, पानी की धार के साथ बहे पश्चिमी यमुना नहर के किनारे
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पश्चिमी यमुना नहर के किनारे 10-12 हजार क्यूसेक पानी का बहाव नहीं झेल पाए हैं। खुर्दी के पास कटाव शुरू होने से क्षेत्र के लोगों में हड़कंप मच गया। हालांकि पानी नहर से बाहर नहीं आया, लेकिन यदि जल स्तर बढ़ा तो कटाव के बढ़ने का खतरा है। नहर की क्षमता बढ़ाकर अब 17630 क्यूसेक कर दी गई है। उधर, बारिश का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में नहर का जल स्तर बढ़ने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। उधर, पटरी के कटाव को रोकने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से मिट्टी के कट्टे भर रखे जा रहे हैं। ताकि पटरी पर पानी का बहाव असर न करे।
गत वर्ष बढ़ाई गई थी क्षमता
दक्षिण हरियाणा में पानी की मांग को देखते हुए सिंचाई विभाग ने पश्चिमी यमुना नहर के क्षमता बढ़ाई। इसके किनारों को पक्का किया गया था। यह काम गत वर्ष पूरा हो गया था। यह नहर इंद्री-करनाल से होते हुए मूनक हेड पर मिल रही है। इसके माध्यम से पानी दक्षिण हरियाणा में खेतों की सिचाई के लिए सप्लाई होता है। नहर के किनारों को पक्का किए जाने का काम फरवरी-2018 में हुआ था।
30 जून 2018 तक चला। बाद में मानसून सीजन के कारण बंद हो गया। फरवरी-2019 में फिर शुरू किया। जून-2019 तक चला। फरवरी-2020 में फिर काम शुरू करवा दिया गया। अब अधिकारियों ने ठेकेदारों को 30 जून तक काम पूरा करने के लिए नोटिस जारी किया था। उसके बाद काम पूरा हो पाया था। नहर के जरिए दक्षिण हरियाणा को ज्यादा पानी मिले और कच्चे किनारे नुकसान का कारण न बनें, इस उद्देश्य से सिचाई विभाग ने पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता 15,933 से बढ़ाकर 17,630 क्यूसेक करने पर विचार कर हा है।
किनारे पक्का होने से सिंचाई विभाग दे ध्यान क्षेत्रवासी महेंद्र सिंह, जोगिंद्र सिंह, राम किशन व हरी सिंह का कहना है कि नहर में अभी पानी का बहाव सामान्य है। बारिश का सीजन शुरू हो चुका है। आगामी दिनों में नहर के जलस्तर में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक सी बात है। यदि अभी से नहर के किनारों पर कटाव होने लगा तो आगामी दिनों में स्थिति बिगड़ जाएगी। सिंचाई विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। जहां भी नहर के किनारे कच्चे हैं, उनको मजबूती के साथ पक्का किया जाए। ताकि कटाव होकर पानी बाहर न निकले। पूर्व में रादौर के पास कटाव होने से सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई थी।
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