नारनौल न्यूज़: नए शिक्षा सत्र को शुरू हुए करीब चार माह बीत चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली के चलते अब तक पहली से आठवीं कक्षा तक के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें ही पूर्ण रूप से उपलब्ध करवाई गई हैं। अब तक केवल कक्षा पहली, पांचवीं व छठी की ही पाठ्य पुस्तकें बांटी गई हैं, जबकि सातवीं एवं आठवीं की पाठ्य पुस्तकें प्राप्त करने के लिए सरकारी स्कूल मुखियाओं को 29 जुलाई को शाम 5:30 बजे तक स्कूल में उपस्थित रहने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। अधिकारियों का तर्क है कि नई पाठ्य पुस्तकों के अभाव में पुरानी पाठ्य पुस्तकों से काम चलाया जा रहा है और किसी की पढ़ाई बाधित नहीं हुई, लेकिन उनके पास इंग्लिश मीडियम के मॉडल संस्कृति के बच्चों का सैलेबस अंग्रेजी का होने के सवाल पर कोई जवाब नहीं है। उल्लेखनीय है कि नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के चार महीने बाद भी अधिकतर सरकारी स्कूलों में अभी तक पहली से आठवीं तक की सभी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं। नतीजन विद्यार्थियों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। मॉडल संस्कृति स्कूलों के इंग्लिश मीडियम वाले बच्चों का तो और भी बुरा हाल है। गौर हो कि प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सभी सरकारी विद्यालयों में पहली से आठवीं तक के बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाती हैं। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से अब तक पहली कक्षा से 8वीं कक्षा तक की किताबों का बच्चे इंतजार कर रहे हैं। इस सत्र को शुरू हुए भी चार महीने बीतने को हैं।
पहली, पांचवीं व छठी कक्षा की पुस्तकें भेजी: लगभग 25 दिन पहले ही शिक्षा विभाग ने कक्षा पहली, पांचवी व छठी की किताबें भेजी हैं, लेकिन कक्षा दूसरी, तीसरी, चौथी, सातवीं व आठवीं की किताबें अभी तक नहीं पहुंची हैं। जबकि एक अगस्त से शिक्षा विभाग ने असेसमेंट टेस्ट का शेड्यूल जारी कर दिया है, जिसके 10 दिन बाकी शेष रह गए हैं।
कक्षा छठींं से 12वीं तक की असेसमेंट टेस्ट एक अगस्त से: शिक्षा विभाग ने असेसमेंट टेस्ट का शेड्यूल जारी कर दिया है। टेस्ट शुरू होने में तीन दिन रह गए हैं, लेकिन अभी तक कक्षा दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं, सातवीं व आठवीं की किताबें बच्चों को नहीं मिली हैं। सिर्फ पहली और छठी कक्षा की किताबें ही बच्चों को मिल पाई हैं। नई किताबों का बच्चे इंतजार कर रहे हैं। कक्षा छठी से 10वीं तक इतिहास विषय के नए पाठ्यक्रम की पुस्तकें पढ़ाना अनिवार्य है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा छठी से 10वीं तक इतिहास विषय की नए पाठ्यक्रम की पुस्तकें शैक्षिक सत्र 2022-23 से सभी सरकारी व निजी विद्यालयों में पढ़ाई जानी अनिवार्य कर दी है। राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित एवं बोर्ड द्वारा नवनिर्मित इतिहास की पुस्तकें पढ़ाई जानी अनिवार्य हैं।
क्या कहते हैं डीईओ: जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त ने बताया कि पाठ्य पुस्तकों का वितरण किया जा रहा है। पहली, पांचवीं एवं छठी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें वितरित की जा चुकी हैं, जबकि सातवीं एवं आठवीं की पुस्तकें वर्तमान में बांटी जा रही हैं। बच्चों की पढ़ाई पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा है। उन्हें सीनियर बच्चों की पुरानी पाठ्य पुस्तकें दे दी गई थी।