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शहीद डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई का गुरुवार दोपहर बाद करीब पौने तीन बजे उनके पैतृक गांव सारंगपुर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। भारी बारिश के कारण अंतिम संस्कार करीब चार घंटे देरी से हुआ। डीजीपी पीके अग्रवाल, आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई, फतेहाबाद विधायक दुड़ाराम, आईजी राकेश कुमार आर्य, एसपी लोकेंद्र सिंह सहित अन्य गण्यमान्य ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
स्कूली विद्यार्थियों और ग्रामीणों ने दी श्रद्धांजलि
डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई के बेटे सिद्धार्थ बिश्नोई तड़के ही हिसार पहुंच गए थे। गुरुवार सुबह 6 बजे से ही बारिश हो रही थी। शव को अंतिम संस्कार के लिए सुबह 8 बजे ले जाना था। तय कार्यक्रम के अनुसार दस बजे अंतिम संस्कार किया जाना था। लगातार हो रही बारिश के कारण समय में बदलाव करना पड़ा। दोपहर करीब 12 बजे बाद तिरंगे में लिपटे शव को कैंटर में रखकर विदा किया गया। अग्रोहा के लांधड़ी टोल प्लाजा पर स्कूली विद्यार्थियों व ग्रामीणों ने उन्हें सलामी देते हुए श्रद्धाजंलि दी। शहीद सुरेंद्र बिश्नोई अमर रहे के नारे लगाए।
सुरेंद्र बिश्नोई को अंतिम संस्कार कर जिस खेत में मिट्टी दी जानी थी उसमें भारी बारिश के चलते पानी भर गया। जेसीबी की मदद से गड्ढा खोदा गया। पंपसेट की मदद से खेत में भरे पानी को निकाला गया। कई घंटे तेज बारिश के बावजूद भारी संख्या में लोग पहुंचे।
अंतिम संस्कार से पहले सुरेंद्र बिश्नोई के शव को गांव सारंगपुर के राजकीय स्कूल में रखा गया। यहां डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा, आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई, पूर्व मंत्री संपत सिंह, मंडल आयुक्त चंद्रशेखर, रणधीर पणिहार, भाजपा नेत्री सोनाली, एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल फोगाट सहित अन्य लोगों ने श्रद्धांजलि दी। ग्रामीणों ने गांव की सड़क का नाम शहीद के नाम पर करने की मांग रखी।
खनन माफिया ने कर दी थी हत्या
डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई की नूंह जिले के तावडू क्षेत्र में अवैध खनन करने वाले डंपर चालक ने कुचल कर हत्या कर दी थी। हरियाणा सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा दिया है। सुरेंद्र बिश्नोई के बेटे सिद्धार्थ के कनाडा में होने के कारण बुधवार को अंतिम संस्कार नहीं किया गया। बुधवार देर रात सिद्धार्थ हिसार पहुंचे। जिसके बाद गुरुवार सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार किया जाना था। बिश्नोई समाज में पेड़ों को बचाने के लिए शव को जलाने के बजाए मिट्टी में दफनाया जाता है।
सीएम ने किया न्यायिक जांच का एलान
सीएम ने न्यायिक जांच का एलान किया है। सरकार तुरंत इस मामले की गहराई में जाकर भू माफिया, खनन माफिया पर कार्रवाई करे। सुरेंद्र बिश्नोई ने लंबे समय तक सरकारी नौकरी करते हुए ईमानदारी की मिसाल पेश की। अगर सिद्धार्थ की इच्छा हो तो सरकार शहीद सुरेंद्र बिश्नोई के बेटे को नौकरी दे। गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर करवाने का काम प्रयास करेंगे। – कुलदीप बिश्नोई, विधायक आदमपुर
डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई के साथ बहुत दुखद घटना घटी है। वह बहुत दिलेर, बहादुर ऑफिसर थे। खनन में शामिल लोगों को पकड़ने का प्रयास भी उनकी बहादुरी को दिखाता है। हमने डंपर के क्लीनर व ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है। हमने 700 से 800 पुलिस कर्मियों की टीम बनाकर नूंह पुलिस को दी है। जो नूंह में होने वाली माइनिंग को लेकर सर्च अभियान चला रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -पीके अग्रवाल, डीजीपी, हरियाणा
डीएसपी के हौसले देख डर गया था खनन माफिया
तावडू में हो रहा अवैध खनन बार-बार रुकवाया जाना माफिया को रास नहीं आया और डीएसपी सुरेंद्र सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया। डीएसपी का हौसला खनन माफिया को चुभ रहा था। माफिया के गुर्गे खनन क्षेत्र में किसी भी बाहरी व्यक्ति का दखल बर्दाश्त नहीं करते। फिर चाहे वह पुलिस हो या फिर कोई और, माफिया के लोगों ने पहले से ही ऐसी व्यवस्था बना रखी है कि कोई भी बाहर से खनन क्षेत्र में प्रवेश न कर पाए। खनन क्षेत्र के चारों और अवैध हथियारों के साथ युवकों को बैठाया जाता है। असल तो किसी को अंदर जाने ही नहीं दिया जाता, अगर कोई अंदर पहुंच भी जाता है तो यह माफिया के गुर्गों को नागवार गुजरता है। मेवात के डीएसपी सुरेंद्र सिंह के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। माफिया के लोग नहीं चाहते कि अंदर की सच्चाई बाहर आए।
पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पिछले दस दिनों में डीएसपी सुरेंद्र सिंह यहां पर तीन बार अवैध खनन रुकवा चुके थे। डीएसपी ने चेताया था कि क्षेत्र में अवैध खनन किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके माफिया ने अवैध खनन जारी रखा। ग्रामीणों द्वारा शिकायत मिलने के बाद बार-बार डीएसपी द्वारा अवैध खनन क्षेत्र में पहुंचना और काम को रुकवाना माफिया के लोगों को अखर गया। इसी को लेकर खनन माफिया के गूर्गों ने डीएसपी को निशाना बनाया। उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि डीएसपी अवैध खनन नहीं चलने देंगे। इसलिए ही मंगलवार को आरोपियों ने पत्थरों से भरा डंपर डीएसपी पर चढ़ाकर उनकी हत्या कर दी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस की बार-बार चैकिंग से अवैध खनन का कारोबार प्रभावित हो रहा था।
डीएसपी के स्टाफ ने बरती लापरवाही, कार्रवाई तय
पूरे घटनाक्रम में डीएसपी के साथ गए पुलिस स्टाफ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। डीएसपी की हत्या के बाद डंपर समेत आरोपियों का भाग जाना और पुलिस कर्मचारियों द्वारा बदमाशों पर न तो फायर किए गए और न ही उनको पकड़ने के लिए तत्परता दिखाई गई। मामले में खुद डीजीपी पीके अग्रवाल और सीआईडी चीफ आलोक मित्तल ने मौके का मुआयना किया था। पुलिस अधिकारी इसे लापरवाही मान रहे हैं। डीएसपी के साथ एएसआई संजय कुमार, पीएसओ उमेश कुमार और चालक अमित कुमार थे। बताया जाता है कि आगामी दिनों में विभागीय स्तर पर इसकी जांच होगी और इसके बाद कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल पुलिस का पूरा जोर माफिया के सदस्यों की गिरफ्तारी पर है।
बिना नंबर की गाड़ियों का धड़ल्ले से प्रयोग, उठे सवाल
अवैध खनन में बिना नंबर के डंपर और अन्य गाड़ियों के प्रयोग से भी जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। अवैध खनन रोकने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से सभी जिलों में टास्क फोर्स बनाई गए हैं। लेकिन मेवात में धड़ल्ले से बिना नंबर की गाड़ियों में खनन ले जाया जा रहा था। जिला टास्क फोर्स के साथ-साथ राज्य परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) के अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं।
Rani Sahu
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