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भक्त कान पकड़कर मांगते हैं गलतियों की माफी, इस मंदिर में लगती है भगवान शिव की अदालत

Admin4
25 July 2022 5:16 PM GMT
भक्त कान पकड़कर मांगते हैं गलतियों की माफी, इस मंदिर में लगती है भगवान शिव की अदालत
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सावन में इन दिनों पूरे देश में शिव भक्तों का धूम है. इस महीने में शंकर भगवान के हर मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटती है. प्रयागराज के शिवकुटी इलाके में भगवान शिव का अनोखा मंदिर है, जहां पर एक नहीं दो नहीं बल्कि 288 भगवान शिवलिंग स्थापित है, जिसे शिव कचहरी के नाम से जाना जाता है. यहां आने वाले शिव भक्त अपनी गलतियों को भगवान शिव के कान में कहने के बाद उठक-बैठक कर माफी मांगते हैं. शिव कचहरी के नाम से जाने जाने वाला यह मंदिर भगवान शिव की अदालत के रूप में जाना जाता है.

प्रयागराज के शिवकुटी इलाके में स्थित इस मंदिर में प्रवेश करने पर सरकारी बिल्डिंग की तरह लाल और सफेद रंग से रंगी दीवारें नजर आएंगी, जिसमें अंदर जाने के लिए सिर्फ एक दरवाजा है. मंदिर से बाहर देखने के लिए कई खिड़कियां हैं, जो एक झलक में आपको एक अदालत जैसी नजर आती है. यह अदालत कोई सरकारी अदालत नहीं बल्कि शिव की अदालत है. इसे प्रयागराज शिव कचहरी मंदिर कहा जाता है.

अमूमन शिव मंदिर में एक शिवलिंग या दो शिवलिंग या इससे अधिक 10 शिवलिंग होते हैं, लेकिन इस अनोखे मंदिर में कुल 288 शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर में भगवान शंकर ही जज और वकील हैं. इस मंदिर में आने वाले उनके भक्त फरियादी होते हैं और भगवान शिव के कानों में कहकर अपनी गलतियों की माफी मांग कर मंदिर में उठक-बैठक लगाते हैं.

शिव भक्त मांगते हैं गलतियों की माफी

प्रयागराज के इस मंदिर में एक बड़े शिवलिंग को शिव भक्त जज के रूप में देखते हैं. कहते हैं कि इंसान को उसके पुण्य और कर्मों का फल तब तक नहीं मिलता, जब तक वह पापों से मुक्त न हो जाए. इसलिए शिव की अदालत में पहुंचने वाले शिव भक्त इस शिव कचहरी में पुण्य की प्राप्ति की कामना के लिए नहीं आते बल्कि जाने अनजाने में हुई गलतियों या पापों से मुक्ति की कामना उन्हें इस जगह खीच लाती है.

शिव कचहरी में आकर भक्त शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और फिर आखिरी में क्षमा याचना के लिए न्याय स्वरूप शिव के सामने कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाते हैं. शिव कचहरी के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक जहां भी आपकी नजर जाएगी, आपको शिवलिंग नजर आएंगे. सावन के महीने में शिव भक्तों की भीड़ सबसे अधिक लगती है. इस मंदिर की स्थापना राणा जनरल जंग पदम बहादुर 1865 में स्थापित किया था.

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