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भजनलाल के नेतृत्व में 67 सीटें जीतने के बावजूद भी हुड्डा को सीएम बनाने से शुरू हुई थी बिश्नोई परिवार की नाराजगी

Shantanu Roy
3 Aug 2022 5:27 PM GMT
भजनलाल के नेतृत्व में 67 सीटें जीतने के बावजूद भी हुड्डा को सीएम बनाने से शुरू हुई थी बिश्नोई परिवार की नाराजगी
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चंडीगढ़। लंबे समय तक प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्रीय कांग्रेस में बेहद ताकतवर नेता के रूप में स्थापित रहे स्व. भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने एक बार फिर कांग्रेस को अलविदा कह दिया। इससे पहले साल 2007 में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस का त्याग कर हरियाणा जनहित कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी का गठन किया था और 2009 के विधानसभा चुनाव में हजकां ने 6 और कांग्रेस ने 38 सीटें हासिल की थी। कांग्रेस बहुमत हासिल करने से दूर थी, इसलिए कांग्रेस ने जोड़-तोड़ की राजनीति करते हुए हजकां के 5 विधायकों को अपने पाले में शामिल कर लिया था।

अतीत में भजनलाल का रुतबा प्रदेश की राजनीति में बेहद ताकतवर रहा है। जाट व गैर जाट की राजनीति में माहिर भजनलाल एक बड़े गैर जाट नेता के रूप में हमेशा ताकतवर भूमिका में रहे। उन्हीं के दम पर और उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस ने 2004 के विधानसभा चुनाव में 67 सीटें जीत कर बहुमत की सरकार बनाई। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने उनकी जगह प्रदेश के नेतृत्व की जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंप दी। उसी दिन से भजनलाल परिवार की ताकत को घटाने के लिए अनदेखी का सिलसिला लगातार देखने को मिलता रहा।
हालांकि उस दौरान भजन लाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन प्रदेश के बेहद प्रभावी बिश्नोई परिवार इसे कबूल नहीं कर पाया। 2007 में कांग्रेस का त्याग कर हजकां पार्टी का गठन भी इसी नाराजगी का एक सिलसिला था। प्रदेशभर में लगातार राजनीतिक गतिविधियां करते हुए कुलदीप बिश्नोई की मेहनत कुछ हद तक रंग लाई और 2009 विधानसभा चुनावों में 6 सीटें जीतकर हजका पार्टी किंगमेकर की भूमिका में आ गई। लेकिन जीते हुए विधायकों ने अपने राजनीतिक भविष्य को तलाशते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया। जिस कारण एक बार फिर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
राज्यसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई के क्रॉस वोट से कांग्रेस को लगा था झटका
इसके बाद हजकां ने भाजपा के साथ गठबंधन किया। मोदी लहर में 2014 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा। भाजपा ने 7 सीटें जीती, एक कांग्रेस और 2 इनेलो के पास आई। हजकां अपने कोटे की हिसार और सिरसा लोकसभा सीटें हार गई। विधानसभा चुनाव में दोनों का 45-45 सीटों पर चुनाव लड़ने का समझौता लागू न होने पर गठबंधन टूट गया और हजकां चुनाव में केवल 2 सीटें ही जीत पाई। इसके बाद कुलदीप ने 2016 में हजकां का कांग्रेस में विलय कर दिया। कुलदीप बिश्नोई प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की कोशिशों में थे और चर्चाएं भी खूब चली कि कांग्रेस हाईकमान ने कुमारी शैलजा के इस्तीफे के बाद अगले प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कुलदीप बिश्नोई को फाइनल कर दिया है। लेकिन इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा की गुगली ऐसे चली कि उनके बेहद नजदीकी नेता उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया और तुरंत बाद हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की जीत के लिए पर्याप्त मात्रा में विधायकों की संख्या भी कम पड़ गयी। क्योंकि कुलदीप बिश्नोई ने आत्मा की आवाज बताते हुए निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में वोट कर डाला। जिससे कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार हो गई। कांग्रेस हाईकमान ने नाराज होकर कुलदीप बिश्नोई से सभी जिम्मेदारियां छीन ली।
7 पूर्व विधायक और बड़ी संख्या में नेता-कार्यकर्ता करेंगे भाजपा ज्वाइन : कुलदीप बिश्नोई
अब कुलदीप बिश्नोई ने अपने चचेरे भाई भाजपा विधायक दुडा राम अपनी धर्म पत्नी रेणुका के साथ विधानसभा पहुंचकर विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया है। जिससे एकाएक राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से रूबरू हुए कुलदीप बिश्नोई ने साफ कर दिया हैै कि वीरवार को वह विधिवत रूप से भाजपा ज्वाइन करेंगे। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने तो हुड्डा का चैलेंज को कबूल करते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। अब हुड्डा उनके या उनके पुत्र के सामने आदमपुर विधानसभा से चुनाव जीत का दिखाएं। बिश्नोई ने कहा कि उनके साथ उनकी धर्मपत्नी रेणुका व हरियाणा- राजस्थान के बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता भाजपा में ज्वाइन करेंगे। इस मौके पर बिश्नोई ने कहा कि 7 पूर्व विधायक भी भाजपा में ज्वाइन करना चाहते हैं। हालांकि कुलदीप बिश्नोई ने यह साफ कहा कि वह भव्य बिश्नोई को उप चुनाव लड़ना चाहेंगे और वह पार्टी हाईकमान से इसके लिए प्रार्थना भी करेंगे कि आदमपुर की जनता भव्य को विधायक के रूप में देखना चाहती है। लेकिन बावजूद इसके पार्टी के फैसले का स्वागत करेंगे। रेणुका बिश्नोई ने बात करते हुए कहा कि वह एक्टिव पॉलिटिक्स नहीं करना चाहती, लेकिन अर्धांगिनी होने के नाते हर फैसले में तन-मन-धन के साथ कुलदीप के साथ खड़ी रहूंगी।
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