हरियाणा
आवेदन के बावजूद डॉक्टर और कर्मचारियों नहीं किए जा रहे अलॉट, पीजीआई में खाली पड़े हैं इतने आवास
Gulabi Jagat
13 July 2022 7:27 AM GMT
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पीजीआई चंडीगढ़ के 225 आवास खाली पड़े हैं जबकि संस्थान के सैकड़ों डॉक्टर और कर्मचारी आवास की तलाश में दर-दर की खाक छान रहे हैं। पीजीआई परिसर और सेक्टर-24 में आवास खाली होने के बावजूद अलॉट न होने से उन्हें कई गुना ज्यादा किराया देकर 20 से 25 किमी की दूरी पर रहना पड़ रहा है। इस कारण समय से ड्यूटी पर पहुंचने के साथ ही किराया देने की चिंता उनके तनाव को तेजी से बढ़ा रही है। इस समस्या के समाधान के लिए कर्मचारी लगातार पीजीआई प्रशासन को आवेदन दे रहे हैं लेकिन हाउस अलॉटमेंट कमेटी के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। खाली पड़े होने के चलते आवासों की स्थिति बेहद दयनीय है।
स्थिति यह है कि इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय तक जा पहुंची है। कर्मचारियों के साथ संस्थान के फैकेल्टी भी इसके भुक्तभोगी हैं। पीड़ितों का कहना है कि अगर अधिकारी समय से काम पूरा कर दें तो एक बार में 225 लोगों के आवास की समस्या दूर हो जाएगी लेकिन वर्षों से ऐसा नहीं हो रहा है। जानकारी के अनुसार 27 अप्रैल 2022 को हाउस अलॉटमेंट की बैठक कर 2022-23 की लिस्ट तय की जा चुकी है लेकिन उसे अब तक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है।
खाली आवासों की स्थिति बेहद खराब, दर्जनों मकानों के दरवाजे और खिड़कियां टूटीं
पीजीआई परिसर में रह रहे कर्मचारियों और डॉक्टरों का कहना है कि खाली आवासों से जहां उसकी स्थिति खराब हो रही है, वहीं उनमें असामाजिक तत्वों के अलावा चोरी जैसी घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। संस्थान के आवासीय परिक्षेत्र में ऐसे दर्जनों मकान खाली पड़े हैं जिसमें दरवाजे और खिड़कियां टूटी हुई हैं। यहां पर झाड़ियां उगी हुई हैं। किसी खाली आवास के बाहर मलबे का ढेर लगा हुआ है तो किसी में जानवरों का बसेरा हो गया है।
पीजीआई में खाली पड़ा आवास।
पीजीआई में खाली पड़ा आवास। - फोटो : अमर उजाला
आवास होने के बावजूद भत्ता देकर करा रहा आर्थिक क्षति
एक तरफ संस्थान के 225 आवास खाली पड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ पीजीआई प्रशासन अपने कर्मचारियों को प्रतिमाह लगभग 15 लाख रुपये आवास भत्ता दे रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि आवास अलॉट न कर अधिकारी मनमानी करने के साथ ही सरकार की आर्थिक क्षति भी करवा रहे हैं।
अलग-अलग श्रेणी में इतना दिया जा रहा आवास भत्ता
श्रेणी देय भत्ता
टाइप 6 9500 रुपये
टाइप 7 8700, 8900 रुपये
टाइप 8 7600 रुपये
टाइप 9 5400 से 6600 रुपये
टाइप 10 4600 से 4800 रुपये
टाइप 11 4200 रुपये
टाइप 12 2000, 2400 व 2800 रुपये
टाइप 13 1900 रुपये
टाइप 14 1300 से 1800 रुपये
पीजीआई के आवासों की संख्या काफी कम है। जो हैं उनमें से ज्यादातर की स्थिति खराब है। समय-समय पर उसकी मरम्मत होती रहनी चाहिए। जहां तक आवास अलॉट करने में विलंब की बात है तो इस समस्या के समाधान के लिए एसोसिएशन पीजीआई के निदेशक से मिलकर आग्रह कर चुका है। उम्मीद है जल्द ही स्थिति में सुधार होगा। - प्रो. जेएस ठाकुर, अध्यक्ष पीजीआई फैकेल्टी एसोसिएशन।
आवास अलॉटमेंट में की जा रही अनदेखी के संदर्भ में कर्मचारी संघ ने 30 जून को स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत की है। इससे पहले 12 अक्तूबर 2021 को भी इसकी शिकायत की गई थी। इसके बाद एक नवंबर 2021 को 30 मकान अलॉट किए गए थे। पीजीआई प्रशासन की अनदेखी के कारण कर्मचारी आवास की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। कई गुना ज्यादा किराया देकर 20 से 25 किमी दूर रहने को मजबूर हैं। - अश्वनी कुमार मुंजाल, महासचिव, पीजीआई कर्मचारी संघ (गैर संकाय)
संपदा और इंजीनियरिंग ब्रांच के संबंधित अधिकारियों से खाली आवास की डिटेल तथ्यों के साथ मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई निश्चित होगी। - कुमार गौरव, डीडीए व पीजीआई प्रवक्ता।
Gulabi Jagat
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