सात वर्ष बाद भी आशियाना नहीं मिलने पर खरीदारों का प्रदर्शन
चंडीगढ़ न्यूज़: सेक्टर-111 के कैपिटल गेटवे प्रोजेक्ट के खरीदारों ने आशियाने को लेकर प्रदर्शन किया. खरीदार परियोजना स्थल पर एकत्र हुए और अपने फ्लैटों का कब्जा सौंपने में देरी को लेकर खिलाफ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. पिछले सात वर्ष से आशियाने के लिए इंतजार कर रहे है.
मौके पर प्रोजेक्ट तीस फीसदी अधूरा पड़ा है. जबकि बिल्डर खरीदारों से 90 फीसदी से अधिक पैसा भी ले चुका है. कैपिटल गेटवे होमबॉयर्स वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष ग्रुप कैप्टन वीके सिंह के नेतृत्व में खरीदार एचएस गुलाटी, अनिल कुमार, आरके सहरावत, विकास हुड्डा समेत सौ से अधिक खरीदारों की बैठक हुई. खरीदारों ने कहा कि कैपिटल प्रोजेक्ट 2010 से उनके अच्छे दिन आने का इंतजार कर रहे हैं! जब बिल्डर का झूठ खत्म होगा और उन्हें अपने फ्लैटों पर कब्जा मिल जाएगा.
बिल्डर पर मनमानी का आरोप 22 अक्तूबर से स्वामी योजना के तहत फंड लगाकर इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है. लेकिन दुख की बात है कि फेज-1 जो पिछले सात वर्षों से पहले ही 80-85 प्रतिशत तक पूरा हो चुका था, अभी भी आगे नहीं बढ़ा है. फेज 2 ने एक छलांग लगाई है, ताकि भोले-भाले घर खरीदारों से अधिक पैसा निकाला जा सके. क्योंकि भुगतान योजना स्लैब के अनुसार जुड़ी हुई है. पैसा देकर फंसे खरीदारों ने आक्रोशित होकर प्रोजेक्ट पर ही बिल्डर के खिलाफ अपनी भड़ासा निकाली.
2015 में खरीदारों को मिलना था आशियाना
एसोसिएशन का आरोप है कि बिल्डर खुले तौर पर हरेरा अदालत के फैसलों का पालन नहीं कर रहा है. जिसके कारण खरीदार बिना किसी मदद या न्याय के इंतजार में खड़े हैं. निराश घर खरीदार अपने अच्छे दिन आने का इंतजार कर रहे है. 10.5 एकड़ पर यह प्रोजेक्ट वर्ष 2011 में शुरू की गई थी. बिल्डर-खरीदार समझौते पर हस्ताक्षर 2013 में दिसंबर 2015 तक फ्लैटों की डिलीवरी के वादे के साथ किए गए थे. इसमें लगभग 530 फ्लैट हैं.
खरीदार 90 फीसदी तक भुगतान कर चुके
एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा किह बिल्डर ने इसी परिसर में एक क्लब हाउस बनाने के लिए घर खरीदारों की सहमति के बारे में झूठ बोलकर नगर नियोजन कार्यालय में योजनाओं को बदलने में कामयाबी हासिल की. प्रोजेक्ट शुरू हुए 13 वर्ष बीत चुके हैं. पहले फेज में घर खरीदारों ने लगभग 90-100 फीसदी पैसे का भुगतान कर दिया है. दूसरे फेज में कुछ ने पहले ही 90 फीसदी भुगतान कर दिया है. अब अपने पैसे को बिना किसी आश्वासन के खो दे रहे है.