पानीपत में लावारिश पशुओं को लेकर आम जनमानस परेशान है. पानीपत के हर वार्ड में लावारिश पशुओं के कारण जहां लोग घायल हो रहे हैं, वहीं पिछले कुछ दिनों में कुछ परिवार के लोगों ने अपने चिराग भी खोए हैं. हाल ही में पानीपत के एक सिख परिवार ने अपने 22 वर्षीय बेटे को खोया जो कि आवारा सांड का शिकार हुआ था. इसके बाद शहर में मेयर व पूर्व मेयर और कई संगठनों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर लावारिश पशुओं को सड़कों से जल्द नहीं उठाया गया तो उनको कमिश्नर के कार्यालय पर बांध दिया जाएगा. इसको लेकर मेयर, पूर्व मेयर और संगठनों को कमिश्नर के साथ बैठक कर आश्वासन मिला कि जल्द समस्या का समाधान होगा.
पानीपत की सड़कों पर घूम रहे लावारिस पशुओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे रोजाना हादसे हो रहे हैं. इसे लेकर आज मेयर, पूर्व मेयर और संगठनों ने निगम कमिश्नर के साथ इस मुद्दे पर बैठक की. मेयर अवनीत कौर, पूर्व मेयर व अनेक संगठनों ने कमीशनर को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि आवारा पशुओं को सड़कों से उठाने की तारीख दी जाए. पूर्व मेयर सरदार भूपेंद्र सिंह जो कि मौजूदा मेयर के पिता हैं. उनकी अधिकारियों के साथ काफी गहमागहमी हुई. काफी घंटों के इंतजार के बाद कमिश्नर ने आश्वासन दिया कि 4 महीने के अंदर सड़कों से लावारिस पशुओं को सड़कों से उठा लिया जाएगा.
वहीं पूर्व मेयर सरदार भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कमिश्नर यसविन्दर ने 4 महीने का समय दिया है, लेकिन हम इन्हें 2 महीने का समय देते हैं. अगर दो महीनों में सड़कों से लावारिस पशु नहीं उठाए गए तो सभी गोवंश जो सड़क पर घूम रहे उनको कमिश्नर के कुर्सी से बांध देंगे. पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने तीखे अंदाज में कमिश्नर से इस मुद्दे पर कहा कि क्या हम जनप्रतिनिधि सिर्फ जनता की गालियां सुनने और उनके आगे हाथ जोड़ने के लिए हैं. एक बार तो पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने भी कमिश्नर के आगे हाथ जोड़ दिए. उन्होंने कहा कि कुर्सी पर उसे ही बैठने का अधिकार है जो काम करेगा. अगर आप काम नहीं करते तो कुर्सी पर बैठने का आपको अधिकार नहीं है. अगर इन 4 महीनों में पशुओं के द्वारा कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कमिश्नर होगा.