हरियाणा
टूट गया सेटेलाइट से संपर्क, ISRO ने देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D1 किया लॉन्च
Gulabi Jagat
7 Aug 2022 7:11 AM GMT
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देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D1 किया लॉन्च
श्रीहरिकोटा: भारत के पहले छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का प्रक्षेपण सफल रहा. हालांकि, इसका संपर्क टूट गया है. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, 'SSLV-D1 ने सभी चरणों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया. मिशन के अंतिम चरण में कुछ डेटा लॉस हुआ है. हम इसका विश्लेषण कर रहे हैं.' यह एसएसएलवी एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर गया है .
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह जानकारी दी. इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है. उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है.
इसरो ने रविवार को अपनी वेबसाइट पर कहा, 'एसएसएलवी-डी1/ईओएस-02 मिशन : उलटी गिनती दो बजकर 26 मिनट पर शुरू हुई. एसएसएलवी का उद्देश्य उपग्रह ईओएस-02 और आजादीसैट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करना है. चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसएचएआर) के पहले लॉन्च पैड से सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर रॉकेट प्रक्षेपित किया गया.
ISRO launches SSLV-D1 carrying Earth Observation Satellite (EOS-02) and a student-made satellite-AzaadiSAT from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota
— ANI (@ANI) August 7, 2022
(Source: ISRO) pic.twitter.com/OnqgCAgk1F
प्रक्षेपण के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट के इन दोनों उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित करने की उम्मीद है. अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) से पहला प्रक्षेपण करेगा, जिसका उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा. इसरो के वैज्ञानिक ऐसे छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए पिछले कुछ समय से लघु प्रक्षेपण यान विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनका वजन 500 किलोग्राम तक है और जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जा सकता है.
ISRO launches its new SSLV-D1 rocket from Sriharikota
— ANI Digital (@ani_digital) August 7, 2022
Read @ANI Story | https://t.co/uIPigY0TNL#ISRO #SSLVD1 #ISROIndia pic.twitter.com/7duROVWlp5
एसएसएलवी 34 मीटर लंबा है जो पीएसएलवी से लगभग 10 मीटर कम है और पीएसएलवी के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है. एसएसएलवी का उत्थापन द्रव्यमान 120 टन है, जबकि पीएसएलवी का 320 टन है, जो 1,800 किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है. इसरो ने इंफ्रा-रेड बैंड्स में उन्नत ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपलब्ध कराने के लिए पृथ्वी अवलोकन उपग्रह का निर्माण किया है। ईओएस-02 अंतरिक्षयान की लघु उपग्रह श्रृंखला का उपग्रह है.
'आज़ादीसैट' में 75 अलग-अलग उपकरण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम है. देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन उपकरणों के निर्माण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान किया गया था जो 'स्पेस किड्स इंडिया' की छात्र टीम द्वारा एकीकृत हैं. 'स्पेस किड्ज इंडिया' द्वारा विकसित जमीनी प्रणाली का उपयोग इस उपग्रह से डेटा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)
Gulabi Jagat
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