हरियाणा

सीएम खट्टर ने थियेटर में देखी द कश्मीर फाइल्स फिल्म, विवेक और पल्लवी पहुंचे थियेटर

Renuka Sahu
14 March 2022 3:01 AM GMT
सीएम खट्टर ने थियेटर में देखी द कश्मीर फाइल्स फिल्म, विवेक और पल्लवी पहुंचे थियेटर
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फाइल फोटो 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को पंचकूला में कश्मीर फाइल्स फिल्म को थियेटर में देखा। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी ट्वीट के माध्यम से दी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को पंचकूला में कश्मीर फाइल्स फिल्म को थियेटर में देखा। मुख्यमंत्री ने यह जानकारी ट्वीट के माध्यम से दी है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि आज फिल्म को थियेटर में देखा। हरियाणा सरकार ने फिल्म कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री किया है, ताकि हमारी वर्तमान पीढ़ी भी इस जीवंत फिल्म को देखे और समझे।

बता दें कि द कश्मीर फाइल्स 11 मार्च को रिलीज हुई थी, जो करीब 12.05 करोड़ के बजट में बनी है। फिल्म देखने को लेकर लोगों में उत्सुकता है। रविवार देर शाम मुख्यमंत्री मनोहर लाल पंचकूला के अमरावती एन्क्लेव में सिनेमा हॉल इनोक्स में द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के लिए पहुंचे। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, पंचकूला मेयर कुलभूषण गोयल और भाजपा एवं आरएसएस के कई बड़े नेता मौजूद थे।
विस्थापन का दर्द पर्दे पर देख भर आईं आंखें
रुपहले पर्दे पर खुद की जिंदगी से जुड़ी सच्ची और दर्दभरी कहानी घूम रही हो तो आंखें भर आना स्वाभाविक है। रविवार सुबह जब दिल्ली जयपुर हाईवे के पास सेक्टर-31 स्थित स्टार मॉल के पीवीआर सिनेमा में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म देखने पहुंचे कश्मीरी पंडितों के सामने पर्दे पर विस्थापन का दर्द ताजा हुआ तो वे भावुक हो उठे। दोनों हॉल में पहले शो में यही फिल्म दिखाई गई। फिल्म देखने के लिए उमड़ी भीड़ का आलम यह था कि दोनों हाल की क्षमता 761 सीटें भी कम पड़ गईं। कई लोगों ने हॉल की सीढ़ियों पर बैठ कर फिल्म देखी। फिल्म का प्रमोशन करने के लिए निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी एवं अदाकारा पल्लवी जोशी भी पहुंची। लोगों ने उनके साथ सेल्फी ली और सच दिखाने के लिए धन्यवाद दिया।
फिल्म एक के बाद एक कश्मीरी पंडितों का दर्द बयां करते आगे बढ़ रही थी। महिलाओं-बच्चियों के साथ हुई ज्यादती और जबरन पलायन के लिए मजबूर करने के खौफनाक मंजर को पर्दे पर देख आंखें नम होती रहीं। अनेक लोगों ने अपने परिजनों को भी खोया, जिन्हेें याद कर रुलाई फूट गई। कश्मीरी भाषा के संवाद, कश्मीरी भजन और लोकगीतों के साथ वहां के प्राकृतिक नजारों ने लोगों को कुछ देर के लिए उनके पैतृक घरों से जोड़ दिया। उन्हें लगा जैसे वे अपने ही प्रदेश में अपने ही घरों में जी रहे हैं।
सरकार हर हाल में वापसी करवाएगी
फिल्म की शुरुआत से पहले भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा कि ये फिल्म कश्मीरियों पर हुए जुल्म का एक फीसदी है। वहां जो हुआ, उसको पूरा दिखाना मुश्किल है। चूंकि मोदी सरकार ने धारा 370 हटा दी है, ऐसे में आप कहीं भी अपना वोट बनवा कर वहां मतदान कर सकते हैं। सरकार हर हाल में आपकी घर वापसी करवाएगी। विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी पलवल के कुलपति राज नेहरू ने कहा हम सबको जागृत होना होगा। जैसा कश्मीर में हुआ वैसा कहीं नहीं होने देना है। इस दौरान भारत माता की जय, कश्मीरी पंडित वापस घर जाएंगे के नारे बुलंद हुए। पूरे शो को धीरेंद्र और उनकी टीम ने व्यवस्थित कराया था। अजय पंडित, अशोक काजी, चमन लाल कोल सहित कई लोगों ने व्यवस्था बनाने में सहयोग किया।
फिल्म में जो कुछ दिखाया है। वह बिल्कुल सही है। मैंने भयावह मंजर को अपनी आंखों से देखा था। उस वक्त मैं पॉवर डेवलेपमेंट विभाग में तैनात था। दुख इस बात का भी है कि 32 वर्ष बाद भी हमारी घर वापसी नहीं हो सकी है।
-जवाहर लाल पंडिता, निवासी खाजबाग, बारामूला जम्मू कश्मीर।
फिल्म देखकर पुराने सभी दर्द ताजा हो गए। हमारा वहां से विस्थापन हुआ है और आज भी हम सब बाहर भटक रहे हैं। हमें अपने घरों में कब वापस भेजा जाएगा। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं। हमारा दर्द कौन सुनेगा।
- राजकुमारी राजदान, कश्मीरी पंडित
फिल्म में सभी किरदारों ने बहुत मेहनत की है। मैं इसको बयां नहीं कर सकती हूं। उन्होंने हमारे दर्द को उकेरा है। किसी तरह से हम वहां से निकल कर खुद को बचा पाए, लेकिन घर छूट गया। अब हमें घर पहुंचने का इंतजार है।
- आशा कुंडू, कश्मीरी पंडित।
विवेक और पल्लवी पहुंचे थियेटर
'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी एवं अदाकारा पल्लवी जोशी इंटरवल के बाद स्टार मॉल के पीवीआर सिनेमा पहुंचे। यहां आते ही सभी ने उनको घेर लिया। उन्होंने हॉल के अंदर लोगों से कुछ देर बात की और बाद में बाहर आ गए। विवेक ने बताया कश्मीरी पंडित समुदाय के सुरेंद्र कोल उन्हें अमेरिका के ह्यूस्टन में मिले थे।
उन्होंने कहा था कि क्या उनके समुदाय का दर्द कभी ईमानदारी के साथ लोगों तक पहुंच पाएगा। इसके बाद उन्होंने फिल्म बनाने की ठान ली। पत्नी पल्लवी से राय ली तो उन्होंने कहा कि जब देश के सिपाही बहादुरी से हम सबकी रक्षा कर सकते हैं तो हम अपनी कला से देश सेवा क्यों नहीं कर सकते हैं। बस इसी उत्साह के साथ फिल्म निर्माण शुरू कर दिया। फिल्म लगभग चार वर्ष की मेहनत का नतीजा है। बीच में दो वर्ष कोरोना काल में शूटिंग नहीं हो सकी।
शूटिंग करने कश्मीर पहुंचे तो वहां डल झील पूरी तरह से जमी थी। बमुश्किल शूटिंग हुई। इसके बाद लोगों के विरोध और फिल्म के प्रदर्शन को लेकर परेशानी हुई, लेकिन जब दर्शकों का प्यार मिला तो सब थकान दूर हो गई। विवेक ने कश्मीरी पंडितों से अपने विस्थापन की सच्ची कहानी को फिल्म के साथ हैशटैग करने का आह्वान किया क्योंकि इससे उनकी कहानी पूरी दुनिया देखेगी और इससे उनकी घर वापसी की राह आसान होगी।
विवेक ने बताया कि रविवार शाम उनको कर्नाटक के मुख्यमंत्री से मिलना था, कार्यक्रम तय हो चुका था, लेकिन जब उन्हें यहां कश्मीरी पंडितों के सिनेमा हॉल में आने की खबर मिली तो वह मुंबई से सीधे दिल्ली आए और दर्शकों के बीच पहुंचे। दर्शकों के लिए ही पूरी मेहनत से काम किया। उन्हें कैसे छोड़ दूं। पल्लवी ने भी महिलाओं से बात की। उनका दुख दर्द जाना। कुछ महिलाएं उनसे मिलकर रोने लगीं। बच्चों और युवाओं ने विवेक और पल्लवी के साथ सेल्फी ली और वीडियो भी बनाए। इस दौरान हॉल के बाहर की लॉबी दर्शकों से भरी रही।
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