चलती ट्रेन को बिना आपात के रोकना यात्री के लिए आसान नहीं होगा। रेलवे वर्षों पुरानी इस व्यवस्था में बदलाव करने की तैयारी में है। इसमें दो तरीकों पर रेलवे कार्य कर रहा है। पहला वंदे भारत की तर्ज पर पैनिक बटन लगाने का ताकि यात्री बटन को जैसे ही दबाएगा तो तुरंत इसकी जानकारी गार्ड व चालक तक पहुंच जाएगी और वो ट्रेन को रोक देगा।
दूसरा चैन पुलिंग वाली जगह को पारदर्शी डिब्बा लगाकर बंद कर दिया जाए। हालांकि उक्त दोनों योजनाओं पर रेलवे मंथन कर रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार रेलवे के नए एलएचबी कोच में चेन पुलिंग की प्रणाली में बदलाव किया जा सकता है।
अकेले अंबाला में होती हैं 10 से 15 चेन पुलिंग
उत्तर रेलवे अंबाला मंडल की बात करें तो यहां रोजाना चेन पुलिंग की 10 से 15 घटनाएं होती हैं और चेन खींचने वाले लोगों पर रेलवे एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज किया जाता है। आरपीएफ से प्राप्त जानकारी अनुसार एक माह में 20 से 30 मामलों में आरोपित गिरफ्तार किए जाते हैं।
ट्रेन के संचालन पर पड़ता है असर
चेन पुलिंग की घटनाओं से ट्रेन के संचालन पर भी असर पड़ता है। चेन खींचने के बाद इसे दुरुस्त करने में ही पांच से दस मिनट का समय बीत जाता है। जब तक तकनीकी कर्मचारी मौके पर पहुंचकर सिस्टम को दुरुस्त नहीं करता तब तक ट्रेन स्टेशन पर ही खड़ी रहती है।
जल्दबाजी में होती है गलती
आरपीएफ प्रभारी जावेद खान ने बताया कि ट्रेन में चेन पुलिंग की घटनाएं यात्रियों से जल्दबाजी में होती है। पिछले कुछ मामलों में जब आरोपियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वो गलत ट्रेन में चढ़ गए थे तो उन्हें चेन खींचनी पड़ी। इसी तरह कई यात्रियों का यह कहना था कि ट्रेन में सामान रह गया था, इसलिए चेन खींचनी पड़ी। लेकिन नया सिस्टम आने से यात्रियों के लिए चेन पुलिंग करना काफी मुश्किल हो जाएगा। गंभीर मामलों में आरोपी को जुर्माने के साथ छ माह की जेल भी हो सकती है।