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चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसलिए इनमें खाली पड़े पदों को भरने की दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी के साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शीर्ष पदों के अलावा भारी संख्या में शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई लगातार प्रभावित हो रही है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि देश की 50 फीसदी एनआईटीज में बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के चेयरपर्सन का पद खाली है। कुल 32 एनआईटी में से 16 में चेयरपर्सन नहीं है। 6 में निदेशक नहीं है और 7 अन्य एनआईटी में डायरेक्टर का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन्हें फिलहाल मंत्रालय ने एक्सटेंशन दी हुई है। चेयरपर्सन व डायरेक्टर न होने से नए कोर्स के संचालन, संस्थान का परसेप्शन, शिक्षकों की नियुक्ति, नीतिगत निर्णय, छात्र कल्याण में लिए जाने वाले फैसले प्रभावित हो रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देशभर के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों समेत उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के कुल 11 हजार से भी अधिक पद खाली हैं। जिन उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पद खाली हैं, उनमें आईआईटी और आईआईएम जैसे देश के प्रसिद्ध और बेहतरीन शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं।
कुमारी सैलजा के अनुसार 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 18,956 स्वीकृत पद हैं। इनमें से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 6180 पद खाली हैं। देश की आईआईटी, यानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की बात की जाए तो यहां कुल 11,170 स्वीकृत पद हैं। इनमें से 4,502 पद खाली हैं। इसी तरह भारत के प्रबंधन संबंधी शीर्ष शिक्षण संस्थानों, यानी आईआईएम में शिक्षकों के 1,566 पदों में से 493 पद खाली हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों में आरक्षित वर्गों के पद भी बहुतायत में हैं। इनमें खाली पड़े पदों में 961 पद एससी, 578 एसटी और 1,657 ओबीसी के लिए आरक्षित हैं। ईडब्ल्यूएस के 643 और पीडब्ल्यूडी श्रेणी के 301 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पिछले 8 साल से शिक्षकों की कमी बनी हुई है। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की यह कमी साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। खाली पदों को न भरने से केंद्र सरकार की इन संस्थानों को बंद करने की मंशा साफ झलकती है।
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