हरियाणा

कैप्टन अभिमन्यु : जनता ने हुड्डा को इस काबिल ही नहीं छोड़ा कि वह राय दे सकें

Rani Sahu
14 July 2022 12:21 PM GMT
कैप्टन अभिमन्यु : जनता ने हुड्डा को इस काबिल ही नहीं छोड़ा कि वह राय दे सकें
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जनता ने हुड्डा को इस काबिल ही नहीं छोड़ा कि वह राय दे सकें

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाते हुए हैरानी जताई कि आखिर हुड्डा पंजाब की तर्ज पर पंजाब की भाषा क्यों बोल रहे हैं। आखिर सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 143 के तहत मुद्दा लंबित को रहने दिया गया। जबकि देश में सोनिया गांधी और मनमोहन सरकार थी। लेकिन पंजाब से पानी नहीं आने दिया गया। हाई कोर्ट में सरकार द्वारा गंभीरता से हरियाणा का पक्ष क्यों नहीं रखा गया। आखिर पंजाब से अलग विधानसभा और अलग हाईकोर्ट में हुड्डा सरकार ने संजीदगी और गंभीरता क्यों नहीं दिखाई।

दरअसल हुड्डा ने हाल ही में बयान दिया था कि नई विधानसभा से चंडीगढ़ पर हरियाणा का दावा कमजोर हो जाएगा। इस टिप्पणी पर अभिमन्यु ने कहा कि जनता ने उन्हें इस काबिल ही नहीं छोड़ा कि वह राय दे सकें। अभिमन्यु यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि आज विपक्ष के पास मुद्दे नहीं है। प्रदेश का विपक्ष दिशाहीन है और पूरी तरह से समाप्त हो चुका है।
नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में ही जमीन देने के गृहमंत्री के फैसले के बाद प्रदेश सरकार पूरी तरह से आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने इस कदम को स्वागत योग्य बताया और प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए नई विधानसभा के साथ-साथ अलग हाई कोर्ट कभी होना अति आवश्यक है। उन्होंने गृहमंत्री की स्वीकृति पर उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि हरियाणा की आवाज उठाने के लिए अलग से लोकतंत्र का मंदिर हो, अच्छा आधुनिक भवन हो यह प्रदेश की उन्नति में बेहद सकारात्मक रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब अलग अपनी नई विधानसभा भी बनाना चाहता है तो भी हमें कोई एतराज नहीं है।
अभिमन्यु ने कुलदीप बिश्नोई को अपना पुराना मित्र बताते हुए कहा कि वह बेहद अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं और राजनीतिक परिवार की विरासत को लेकर चल रहे हैं। अभिमन्यु ने कहा कि मैं उनका दिल से सम्मान करता हूं। वह मेरे अच्छे मित्र हैं और अपने हित में निर्णय लेने के लिए योग्य हैं। राजनीतिक सफर में बहुत से साथियों का उन्हें साथ मिला है और जहां निजी हित को वह सुरक्षित मानेंगें, वही जाने का वह फैसला लेंगे। यह सभी का लोकतांत्रिक अधिकार है।
Rani Sahu

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