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बहुत से लोगों में नई-नई भाषाओं को सीखने का चाव होता है, लेकिन कर्नाटक के रहने वाले प्रोफेसर पंडितराव धनेवर (Professor Panditrao Dhanevar Chandigarh) का पंजाबी भाषा से जो लगाव है
जनता से रिश्ता। बहुत से लोगों में नई-नई भाषाओं को सीखने का चाव होता है, लेकिन कर्नाटक के रहने वाले प्रोफेसर पंडितराव धनेवर (Professor Panditrao Dhanevar Chandigarh) का पंजाबी भाषा से जो लगाव है वो शायद ही किसी ओर में होगा. पंडितराव की मातृभाषा कन्नड़ है, लेकिन इस कन्नड़ प्रोफेसर का पंजाबी भाषा से प्यार (karnatakan professor love Punjabi language) लेवल अलग ही लेवल का है. पंडितराव ने पहले खुद पंजाबी सीखी और अब वह दूसरे लोगों को यह भाषा सिखा (South Indian professor teaching Punjabi language) रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने पंडितराव से बातचीत की और जाना कि कैसे पंजाबी भाषा उनकी जिंदगी में आई और उन्हें इस भाषा से लगाव हो गया.
इस बातचीत में पंडितराव ने बताया कि वह करीब 20 साल पहले चंडीगढ़ आए थे. यहां उन्होंने सेक्टर-44 के कॉलेज में साइकोलॉजी के लेक्चरर के तौर पर नौकरी शुरू की थी. आज वह इसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और बच्चों को साइकोलॉजी पढ़ाते हैं. उन्होंने इस बात को समझा कि बच्चों को पंजाबी भाषा के करीब लाना बेहद जरूरी (Punjabi language importance) है. बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जो दूसरे राज्यों से आते हैं और वह यहां के आम लोगों की बोली को ठीक से समझ नहीं पाते, इसलिए उन्होंने बच्चों को पंजाबी दिखाने का बीड़ा उठाया.
इसके लिए उन्होंने पहले खुद पंजाबी भाषा सीखी और फिर बच्चों को सिखाने शुरू की. इनमें ज्यादातर बच्चे दक्षिण भारतीय हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश उत्तराखंड बिहार यहां तक कि नेपाल से आए बच्चे भी अब पंजाबी सीख रहे हैं. प्रोफेसर पंडितराव बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से पीजीआई में काम करने वाले दक्षिण भारतीय डॉक्टरों को भी पंजाबी सिखा रहे हैं. उन्हें पंजाबी नहीं आती, लेकिन पीजीआई में भारी संख्या में ऐसे रोगी आते हैं जो केवल पंजाबी बोलना जानते हैं.
ऐसे में दक्षिण भारतीय डॉक्टर सही तरीके से समझ नहीं पाते कि मरीज उनसे क्या कहना चाह रहा है. भाषा में रुकावट की वजह से उन्हें कभी कभी मरीज की हालत का पता नहीं चलता. उन्हें मरीज की भाषा को समझना आना चाहिए, इसीलिए वह डॉक्टरों को पंजाबी भाषा सिखा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने डॉक्टरों को बहुत से ऐसे शब्द भी सिखाए हैं, जिन्हें मरीज इस्तेमाल करता है.
आपको बता दें कि प्रोफेसर पंडितराव ना सिर्फ पंजाबी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए काम कर रहे हैं, बल्कि वह पंजाबी गानों में दिखाई जाने वाली अश्लीलता नशे हथियार और हिंसा के भी बेहद खिलाफ है. जिसके चलते वे लगातार कोई न कोई मुहिम चलाकर रखते हैं. इतना ही नहीं वह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाबी गानों में इस तरह दिखाए जाने वाले दृश्यों और भाषा के खिलाफ कई सालों से लड़ाई भी लड़ रहे हैं.
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