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हरियाणा | भाजपा के सामने भले ही अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हों, लेकिन उसकी समग्र तैयारी लोकसभा चुनावों को लेकर सतत रूप से जारी है. पार्टी के सामने विपक्षी चुनौती से ज्यादा बड़ी दिक्कत कार्यकर्ताओं की गुटबाजी और नाराजगी है.
हाल में मध्य प्रदेश में आरएसएस के पूर्व प्रचारकों के अलग पार्टी बनाने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी कार्यकताओं के एक गुट ने अपनी अलग बैठक की है. राजस्थान में पहले से ही खेमेबाजी है और कर्नाटक में बड़े नेताओं के आसपास खेमे बने हुए हैं. भाजपा ने पिछले साल ही लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी थी. इस बीच जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव आते गए, उनके लिए पार्टी अलग रणनीति तैयार करती रही. लेकिन उसकी अन्य राज्यों में लोकसभा की चुनावी तैयारियों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता रहा है.
अब चूंकि लोकसभा चुनावों को लगभग छह माह का ही समय बचा है, पार्टी संगठन की मजबूती पर भी ज्यादा ध्यान दे रही है. उत्तर प्रदेश में हाल में सभी जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है. अन्य राज्यों में संगठन में जरूरी बदलाव हो रहे हैं.
पार्टी की चिंता कार्यकर्ताओं में बढ़ रही नाराजगी व संगठन में गुटबाजी है. पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में कुछ पूर्व पदाधिकारियों व विधायकों ने अलग बैठक की है. इसके पहले साल की शुरुआत में ही पार्टी को हिमाचल प्रदेश में हार का सामना करना पड़ा है. तब भी पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी को हार का एक कारण माना गया. बाद में संगठन में बदलाव किए गए. मध्य प्रदेश में तो नाराजगी इस स्तर तक पहुंच गई है कि संघ के पूर्व प्रचारकों ने अलग पार्टी बनाने की घोषणा कर दी.
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