हरियाणा

बजरंग ने स्वीकारी विशाल पहलवान की चुनौती

Rani Sahu
19 Sep 2023 5:43 PM GMT
बजरंग ने स्वीकारी विशाल पहलवान की चुनौती
x
हरियाणा: ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया ने हिसार के सिसाय में हुई पंचायत में मिली चुनौती को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल वह एशियन गेम्स की तैयारी में व्यस्त हैं, लेकिन वह इसके तुरंत बाद विशाल से कुश्ती लड़ने के लिए तैयार हैं। उनका काम कुश्ती लड़ना है और कुछ नहीं।
एशियन गेम्स में बजरंग पूनिया के बिना ट्रायल चयन करने पर जींद में महापंचायत हुई थी, लेकिन उसमें कोई नतीजा नहीं निकला था। इसके बाद हिसार के गांव सिसाय में पंचायत कर निर्णय लिया गया कि बजरंग पूनिया अगर विशाल को हराएंगे तो उन्हें नकद राशि, कार व भैंस देकर सम्मानित करेंगे।
अब पूनिया ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा कि विशाल को लेकर उनके भाई की भाषा पर उनके परिजनों को ध्यान देना चाहिए। उन्हें बोलना सिखाएं, सभी की बहन-बेटियां एक जैसी होती हैं। रही बात चैलेंज की तो वह उसे एशियन गेम्स के बाद आकर स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनका जमीर नहीं बिका है। वह बहन-बेटियों की इज्जत के लिए लड़े हैं और धरना बेचा नहीं, बल्कि पुलिस ने उन्हें डंडे मारकर उठाया था। अब जो लोग बोल रहे हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं है। कुश्ती व बहन-बेटियों की लड़ाई अलग-अलग है। हमारे साथ सात पहलवान और भी बैठे थे। उनका नाम नहीं लिया।
अंतिम पहलवान के प्रशिक्षक की चार बातों का भी जवाब दूंगा। उन्होंने कहा कि खाप पंचायतों ने जो फैसला लिया था, उस पर आज भी अडिग हैं। जिस बृजभूषण शरण को यह लोग ठीक बता रहे हैं, उसी के बनाए नियम हैं, जिसके कारण यह अब विरोध में खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि सोच-समझकर बोलना चाहिए। वह अपना सबकुछ दांव पर लगाकर बहन-बेटियों की इज्जत के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। एशियन गेम्स में 65 व महिला वर्ग में 53 किलो का ट्रायल स्टैंड बॉय के लिए हुआ था। वह नियम अब भी लागू है। साथ ही कहा कि इनाम को टेककर रखना एशियन गेम्स के बाद कुश्ती लड़ेंगे। सभी चैलेंज स्वीकार करूंगा। मेरा जमीर मरा नहीं हैं।
एशियन गेम्स में बजरंग पूनिया के बिना ट्रायल चयन करने पर जींद में महापंचायत हुई थी, लेकिन उसमें कोई नतीजा नहीं निकला था। इसके बाद हिसार के गांव सिसाय में पंचायत कर निर्णय लिया गया कि बजरंग पूनिया अगर विशाल को हराएंगे तो उन्हें नकद राशि, कार व भैंस देकर सम्मानित करेंगे।
अब पूनिया ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लाइव आकर कहा कि विशाल को लेकर उनके भाई की भाषा पर उनके परिजनों को ध्यान देना चाहिए। उन्हें बोलना सिखाएं, सभी की बहन-बेटियां एक जैसी होती हैं। रही बात चैलेंज की तो वह उसे एशियन गेम्स के बाद आकर स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि उनका जमीर नहीं बिका है। वह बहन-बेटियों की इज्जत के लिए लड़े हैं और धरना बेचा नहीं, बल्कि पुलिस ने उन्हें डंडे मारकर उठाया था। अब जो लोग बोल रहे हैं कि उन्हें कुछ पता नहीं है। कुश्ती व बहन-बेटियों की लड़ाई अलग-अलग है। हमारे साथ सात पहलवान और भी बैठे थे। उनका नाम नहीं लिया।
अंतिम पहलवान के प्रशिक्षक की चार बातों का भी जवाब दूंगा। उन्होंने कहा कि खाप पंचायतों ने जो फैसला लिया था, उस पर आज भी अडिग हैं। जिस बृजभूषण शरण को यह लोग ठीक बता रहे हैं, उसी के बनाए नियम हैं, जिसके कारण यह अब विरोध में खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि सोच-समझकर बोलना चाहिए। वह अपना सबकुछ दांव पर लगाकर बहन-बेटियों की इज्जत के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। एशियन गेम्स में 65 व महिला वर्ग में 53 किलो का ट्रायल स्टैंड बॉय के लिए हुआ था। वह नियम अब भी लागू है। साथ ही कहा कि इनाम को टेककर रखना एशियन गेम्स के बाद कुश्ती लड़ेंगे। सभी चैलेंज स्वीकार करूंगा। मेरा जमीर मरा नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सोच-समझकर बोलना चाहिए। वह अपना सबकुछ दांव पर लगाकर बहन-बेटियों की इज्जत के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। एशियन गेम्स में 65 व महिला वर्ग में 53 किलो का ट्रायल स्टैंड बॉय के लिए हुआ था। वह नियम अब भी लागू है। साथ ही कहा कि इनाम को टेककर रखना एशियन गेम्स के बाद कुश्ती लड़ेंगे। सभी चैलेंज स्वीकार करूंगा। मेरा जमीर मरा नहीं हैं।
Next Story