हरियाणा

एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी आज बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर

Gulabi Jagat
2 July 2022 11:57 AM GMT
एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी आज बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर
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बड़ी ऊन मंडी आज बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर
पानीपत: एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी राजस्थान के बीकानेर में (Asia Largest Wool Market In Bikaner) है लेकिन आजादी से पहले पानीपत में बनी ऊन की मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शुमार थी. उस वक्त यहां 15 से 20 लाख किलो ऊन बिकने के लिए आया करती थी. जो अब सिमटकर एक लाख किलो तक पहुंच गई है. मौजूदा हालात में मंडी के हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि मंडी में महज दो प्रतिशत का काम बाकी रह गया है. कभी पानीपत की इस ऊन मंडी में 30 से 40 आढ़ती हमेशा माल की बोली के लिए खड़े रहते थे लेकिन अब सिर्फ चार ही आढ़ती यहां रह गए हैं.
पानीपत की इस ऊन मंडी के व्यापारियों और आढ़तियों का कहना है वह इस व्यवसाय को 8 दशकों से करते आ रहे हैं. आज जो वो इस बदहाली को झेल रहे हैं इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ सरकार की देन है. इनका कहना है कि उनकी तीन-तीन पीढ़ियां इस व्यवसाय से जुड़ी है लेकिन अब वह अपने आने वाली पीढ़ियों को इस व्यवसाय में भी नहीं लाना चाहते. आढ़तियों ने बताया कि जीएसटी लगने से केवल हरियाणा में ऊन पर वैट लगता था जबकि बाकी राज्यों में कहीं पर भी टैक्स नहीं था. यही सबसे बड़ी वजह थी जिसकी वजह से यहां ऊन का व्यापार खत्म होता चला गया.
व्यापारियों का कहना है कि पानीपक ऊन मंडी (Panipat Wool Market) की बदहाली को लेकर सरकारों को इस बारे में कई जानकारी दी गई. बावजूद इसके सरकार ने यहां की मंडी पर कोई ध्यान नहीं दिया. इसके बाद धीरे- धीरे पूरे हरियाणा में जमीने महंगी होती चली गई जिसकी वजह से भी यहां आढ़ती अपने व्यवसाय को बड़ा नहीं कर सके. आजादी से पूर्व इस मंडी में जब हैंडलूम का काम शुरू हुआ था तो भेंड़ के ऊन से बनने वाले गलीचों की बहुत मांग थी लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते धीरे-धीरे राजस्थान के बीकानेर में शिफ्ट होती चली गई.
आढ़तियों और व्यपारियों का कहना है कि अगर सरकार अब भी उनके व्यवसाय पर ध्यान दें तो अब भी वह पहले जैसी मंडी स्थापित कर सकते हैं. पहले भारत देश के कोने- कोने से यहां व्यापारी भेड़ की ऊन लेकर पहुंचते थे जिसकी वजह से व्यवसाय भी काफी अच्छा चल रहा था लेकिन सरकार की दिनोंदिन अनदेखी के कारण यह बिल्कुल ही समाप्त हो चुका है.
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