हरियाणा

अरिंदम बागची ने कहा- समिट के लिए सभी को निमंत्रण भेजा गया

Sonam
4 Aug 2023 5:26 AM GMT
अरिंदम बागची ने कहा- समिट के लिए सभी को निमंत्रण भेजा गया
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हिरयाणा के नूंह और कुछ दूसरे हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अमेरिकी सरकार की तरफ से चिंता जताये जाने को भारत के विदेश मंत्रालय ने कुछ खास तवज्जो नहीं दी है और यह भी कहा है कि इससे जी-20 देशों की आगामी शिखर सम्मेलन पर कोई असर नहीं होगा।

अमेरिका के बयान पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से एक दिन पहले दिए गये बयान को हमने देखा है। आप सभी ने यह भी देखा होगा कि हालात को संभालने के लिए स्थानीय प्रशासन किस स्तर पर काम हो रहा है और अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान भी इसी तर्ज पर है।

गृह मंत्रालय के जिम्मे है कानून-व्यवस्था

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने दूसरे देशों से या दूसरे मंत्रालयों से जी-20 बैठक को देखते हुए बात की है तो बागची का जवाब था कि, “इस बारे में कोई बात नहीं हुई है। कानून-व्यवस्था गृह मंत्रालय के जिम्मे है और उनसे कोई बात नहीं हुई है।''

सफलतापूर्वक आयोजित होगा जी-20 शिखर सम्मेलन

बागची ने उम्मीद जताई कि अगले महीने तय कार्यक्रम के मुताबिक, जी-20 शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित होगा। इसके लिए आवश्यक आमंत्रण सभी सदस्य देशों और विशेष तौर पर आमंत्रित देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भेजे जा चुके हैं। अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि कौन-कौन देश इसमें हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं।

राष्ट्रपति पुतिन नहीं हो सकते हैं शामिल

सूत्रों का कहना है कि रूस को छोड़ कर अन्य सभी देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का इसमें हिस्सा लेने की संभावना है। भारत की तरफ से राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को आमंत्रित करने की कूटनीतिक कोशिश चल रही है। अमेरिका और जी-20 के कई यूरोपीय देशों के बेहद सख्त रवैये को देखते हुए इस बात की संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रपति पुतिन बाली शिखर सम्मेलन (दिसंबर, 2022) की तरह सितंबर, 2023 में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा न लें।

जी-7 के नेताओं के बीच हो सकती है अलग से बैठक

उधर, इस बात की भी चर्चा है कि नई दिल्ली सम्मेलन के दौरान ही समूह-सात के सभी देशों के प्रमुखों की एक अलग से बैठक होगी। इन देशों ने बाली सम्मेलन के दौरान भी अलग से बैठक की थी और यूक्रेन मुद्दे पर एक कड़ा बयान जारी किया था। नई दिल्ली में भी इस तरह की बैठक की संभावना को देख रूस के राष्ट्रपति पुतिन का आना संभव नहीं दिख रहा।

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