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झज्जर : झज्जर के बिरहोड़ गांव के लाडले अमन का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उनके पिता सोमबीर भारत के युवा पहलवान अमन सहरावत ने वो कर दिखाया है, जो इतिहास में कभी नहीं हुआ। जहां रोहतक जिले के बिरहोड़ गांव के लाडले अमन का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उनके पिता सोमबीर सहरावत और मां कमलेश का 11 साल पहले निधन हो चुका है। इसके बाद अमन ने हार नहीं मानी और लगातार आगे बढ़ते चले गए।
पहलवान अमन सहरावत ने स्पेन में चल रही 23वीं विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के 57 किलो भार वर्ग में तुर्की के पहलवान अहमद टुमान को 12-4 से पराजित किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमन का यह चौथा पदक है। इससे पहले उन्होंने अल्माटी में स्वर्ण पदक, दान कोलाव में रजत और यासर दोगू में कांस्य पदक जीता है।
बताया जा रहा है कि अमन साधारण किसान परिवार से हैं। उनके हिस्से में केवल ढाई एकड़ जमीन आती है। माता-पिता के निधन के बाद अमन की परवरिश उनके चाचा-ताऊ व दादा ने मिलकर की। अमन सहरावत के दादा मांगेराम ने बताया कि वह खेतों में बनी ढाणी में रहते हैं। जहां पर ट्यूबवेल के लिए दी जाने वाली बिजली की सप्लाई आती है। बिजली की सप्लाई तीन दिन तक दिन में छह घंटे के लिए दी जाती है और तीन दिन रात के समय छह घंटे के लिए दी जाती है। पेयजल के लिए उन्हें पड़ोसियों के ट्यूबवेल पर जाना पड़ता है क्योंकि उनके के खेेत के ट्यूबवेल का पानी बिल्कुल खारा है, जो पीने के लायक नहीं है।
Gulabi Jagat
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