खेदड़ पावर प्लांट की राख के विवाद में महापंचायत में पहुंचे लोगों ने किसान धर्मपाल को श्रद्धांजलि दी। शव के अंतिम संस्कार पर फैसला नहीं लिया है। महापंचायत से पहले गांव की सीमाओं को सील किया गया।
हरियाणा के हिसार में खेदड़ थर्मल पावर प्लांट की राख के विवाद में आखिरकार 90 दिन के धरने के बाद ग्रामीणों की जीत हुई। बुधवार को महापंचायत के बाद 37 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गोशाला कमेटी राख का उठान कर सकेगी पर सहमति बन गई है। हालांकि किसान धर्मपाल के शव के अंतिम संस्कार को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हो सका है। प्रशासन के साथ करीब साढ़े तीन घंटे वार्ता चली।
वहीं, बुधवार को पुलिस प्रशासन ने खेदड़ गांव की सीमाएं बैरिकेड्स लगा कर बंद कर दी। गांव खेदड़ की ओर जाने वाले रोड पर पत्थर के भारी भरकम डिवाइडर रख दिए गए। महापंचायत में आने वाले लोगों ने बैरिकेड्स देखे तो भड़क गए। इस दौरान वहां मौजूद किसान नेताओं ने मामले को शांत करवाया। किसानों ने अपने ट्रैक्टर के जरिये अवरोधक को हटाया। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल तैनात किया गया।
महापंचायत के मंच से किसान नेता राकेश टिकैत ने शव को लेकर सड़क जाम करने के एलान के 20 मिनट बाद ही प्रशासन के अधिकारी मंच पर पहुंचे। साढ़े तीन घंटे प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चली वार्ता के बाद तीन महीने से धरने पर बैठे खेदड़ गांव के लोगों की मेहनत रंग लाई। आंदोलनकारियों ने एलान किया कि मांगों पर लगभग सहमति बन गई है, लेकिन धरना अभी भी जारी रहेगा।
खेदड़ गांव के खेल स्टेडियम में बुधवार को महापंचायत और श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। सुबह से ही लोगों की भीड़ वहां पर पहुंचने लगी। खाप और किसान नेताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार के सांसदों और विधायकों को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा। सरकार हर बार हमसे वादाखिलाफी करती है। सरकार इस बार अपनी मंशा में कामयाब नहीं हो पाएगी। अब आर-पार की लड़ाई का समय है। मंच से कड़ा फैसला लिया जाएगा, जिस पर सभी ने हामी भरी।
सवा घंटे में कमेटी ने लिया फैसला
प्रशासन से बार बार वार्ता फेल होने के बाद धरना कमेटी ने महापंचायत की कॉल कर उसमें कड़ा फैसला लेने की घोषणा की थी। करीब सवा एक बजे बनाई गई कमेटी के सदस्य बातचीत करने के लिए गोशाला के अंदर चले गए। करीब सवा घंटे कमेटी के सदस्यों ने आपस में बातचीत की। कमेटी अपना फैसला सुनाने के लिए मंच पर आई। सुरेश कोथ ने मंच से कहा कि न्याय दिलवाने के लिए यहां आए हैं। यहीं चाहते हो ना पूरा भाईचारा एक बना रहे। हमारी सभी मांगे मानी जाए। यह तभी संभव है जब हम अनुशासन में रहें। फैसला सुनने के बाद घर चले गए तो न्याय नहीं मिल पाएगा। जो फैसला सुनाया जाएगा उसका सभी साथ दें। मजबूत फैसला लिया गया है।
बिना इंसाफ नहीं होगा शव का अंतिम संस्कार टिकैत
कमेटी ने जो फैसला लिया है उसे बताने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत मंच पर आए। उन्होंने कहा कि प्रशासन से बातचीत की, लेकिन बात सिरे नहीं चढ़ी। मृतक धर्मपाल का परिवार मजबूत है नहीं तो अक्सर ऐसे मामलों में परिवार टूट जाता है। सरकार हठधर्मिता पर आ चुकी है। दिल्ली के आंदोलन का बदला लेना चाहती है। झूठे मुकदमें दर्ज कर रही है। यहां के लोग तीन माह से धरने पर बैठे हैं। बगैर इंसाफ के नहीं उठेंगे। धर्मपाल के पार्थिव शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उनके पार्थिव शरीर को धरना स्थल के पास रख कर रोड जाम करेंगे। अगर, यहां से हम हारे तो हर रोज हम पर अत्याचार होंगे।
गोशाला में लगाया भंडारा
महापंचायत में आने वाले लोंगों के लिए भंडारे की व्यवस्था गोशाला के अंदर की हुई थी। चाय और पानी की व्यवस्था स्टेडियम के अंदर थी। गर्मी और उमस के बीच भी लोग वहीं पर बैठे रहे।
ट्रैक्टर-ट्राली में शव रखकर निकले
महापंचायत और श्रद्धांजलि सभा के दौरान दो मिनट का मौन रखकर मृतक धर्मपाल को श्रद्धाजंलि दी गई। शाम सही चार बजे मृतक के पार्थिव शरीर को डी फ्रिज के साथ ट्रैक्टर ट्रॉली में रखा। इसके बाद धर्मपाल अमर रहे के नारे से सैकड़ों की संख्या में आए। लोग पीछे पीछे धरना स्थल पर सड़क जाम करने के लिए चले। शव को धरना स्थल पर रखा गया। उसके बाद लोग सड़क के बीच में ही बैठ गए। वहां पर वक्ताओं ने लोगों को संबोधित किया। उसके बाद बैठक के बाद कमेटी के सदस्य धरना स्थल पर पहुंचे और प्रशासन के साथ बनी सहमति के बारे में बताया।
भीड़ को देख तंबू को बढ़ाया
धरना कमेटी ने स्टेडियम में लोगों के बैठने के लिए 150 से 200 फुट तक का तंबू लगाया था। इसमें पांच हजार लोगों के बैठने की क्षमता थी। लेकिन लोगों सैकड़ों की संख्या में वहां पर पहुंचे। इसे देख तंबू की लंबाई बढ़ा कर 450 की गई।
कई प्वाइंट मुख्यमंत्री के साथ होने वाली मीटिंग में होंगे तय चढूनी
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि बहुत सी बातें ऐसी है जोकि मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं कर सकते। वहीं इसके अलावा भी कई प्वाइंट ऐसे हैं जोकि मुख्यमंत्री के साथ होने वाली मीटिंग में तय होने हैं। मसलन पूर्व में राखी में झुलसने वालों के परिवारों को डीसी रेट नौकरी देने की बात हो या जिन किसानों की दो एकड़ से कम भूमि थर्मल में आई थी उन्हें डीसी रेट पर नौकरी देने की बात हो और ज्वांइट खाते वालों को भी सीएम की मीटिंग के बाद मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जल्द ही मुख्यमंत्री से मीटिंग होगी। इन सब बातों के बावजूद गोशाला संघर्ष कमेटी ने साफ कर दिया कि लंबित मामलों का 15 दिन में समाधान करने की बात यदि प्रशासन पूरी नहीं करता हो धरना फिर से भी लगाया जा सकता है। धर्मपाल के शव का दाह संस्कार नहीं हो जाता धरना पूर्व की भांति जारी रहेगा।
बैठक में ये रहे मौजूद
प्रशासन और धरना कमेटी के बीच हुई वार्ता के दौरान प्रशासन की तरफ से जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी, पुलिस अधीक्षक लोकेंद्र सिंह, एएसपी पूजा वशिष्ठ, एसडीएम राजेंद्र कुमार, अशवीर नैन, नारनौद के एसडीएम विकास यादव, जिला परिषद के सीईओ प्रीतपाल, मार्केटिंग बोर्ड के प्रशासक जगदीप ढांडा, खेदड़ पावर प्लांट से चीफ इंजीनियर जेपी धीमान, एसई प्रवीण अरोड़ा, सतीश राठी आदि मौजूद रहे। वहीं किसानों की कमेटी की तरफ से गुरनाम सिंह चढूनी, सुरेश कोथ, शमशेर नंबरदार, विकास सीसर, पूर्व सरपंच शमशेर, रवि आजाद, धर्मपाल, सतेंद्र सहारण, कुलदीप खरड़ जोगिद्र नैन, सरदानंद आदि उपस्थित रहे।