स्वाइन फ्लू की पुष्टि के बाद पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने चार टीमें की गठित
हरयाणा न्यूज़: रोहतक जिले में स्वाइन फीवर की अब पुष्टि भी हो गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने महम, सांपला और रोहतक सब डिविजन के लिए अलग-अलग गठित कर दी हैं। टीम में एक डॉक्टर, एक वीएलडीए और एक ही एनिमल अटेंडेंट को शामिल किया गया है। एक टीम की नेतृत्व विभाग के उप निदेशक भी करेंगे। इसके अलावा एक मोबाइल वैन को 24 घंटे अलर्ट पर रखा गया है। ताकि किसी भी आपात स्थिति में पशु पालकों को सहायता मुहैया करवाई जा सके। सोमवार को भी नगर निगम की टीम ने 29 सुअरों के शव बरामद किए हैं। लेकिन हैरत यह है कि जिले में अभी तक कितने सुअरों की मौत हुई है इसका डाटा सोमवार शाम तक भी पशुपालन विभाग के पास नहीं है। 10-12 दिन में जिले में अनेक सुअरों की मौत हो चुकी है। लेकिन विभाग के पास आंकड़ा नहीं है। बीमारी की संवेदनशीलता को देखते हुए विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। पशुपालन विभाग का कहना है कि जिस सुअर में बीमारी के जरा से भी लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत दूसरे पशुओं से अलग कर दें। क्योंकि स्वाइन फीवर एक से दूसरे पशु में तेजी से फैलता है। पशु को अलग रखने के बाद इसकी जानकारी विभाग को दें। एडवाइजरी में बताया गया है कि बीमार पशु के बारे में प्रशासन को भी इत्तला करें। ताकि पशु विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंचकर उपचार शुरू कर सके।
अधिकारी बोले, हम तैयार
विभिन्न गांवों में 65 पशु अस्पताल हैं। इनमें 50 पशु चिकित्सक, 99 वीएलडीए और 100 से अधिक एनिमल अटेंडेंट होने का दावा पशुपालन विभाग ने किया है। जिला मुख्यालय पर एक पॉली क्लीनिक और एक मोबाइल वैन है। इन संसाधनों से ही महकमे ने चार टीम गठित की हैं।विभाग का कहना है कि पूरे स्टाफ को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई सुअर पालक रात में भी फोन करके चिकित्सा सहायता की मांग करता है, उसे मदद दी जा सके। सुअरों की संख्या जिले में साढ़े 9 हजार के करीब बताई जा रही है। जब सुअरों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था पशुपालन विभाग ने कलानौर से 8 अगस्त को कुछ सैम्पल लिए थे। इनको जांच के लिए हिसार भेजा गया था। अब सैम्पल पॉजिटिव पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि जवाहर लाल नेहरू कैनाल के दिल्ली बाईपास स्थित पुल में काफी जानवरों के शव फंसे हुए थे। इनमें सुअर भी हैं। जिससे यह अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि बीमारी से न केवल रोहतक जिला ग्रसित है। बल्कि आसपास के जिलों में बीमारी दस्तक दे चुकी है।
दो बार होता टीकाकरण: सुअरों को बीमारियों से बचाने के लिए साल में दो बार वैक्सीनेशन किया जाता है। बताया जा रहा है कि टीकाकरण के बाद भी सुअरों की मौत इस समय हुई हैं। किलोई स्थित पिगरी फार्म के मालिक विजय हुड्डा ने बताया कि उसके यहां दो सुअरों की मौत हुई है। गांव सिंहपुरा के पशुपालक विशाल, आशु और मोहित ने कहा कि उन्होंने चिकित्सकों की सलाह पर अपने पशुओं को वैक्सीनेशन करवाया, बावजूद इसके उनकी मौत हो गई।
सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव: कलानौर से जो सैम्पल लिए गए थे, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है। किसी भी स्थिति को लेकर चार टीम गठित की जा चुकी है। बुधवार से वैक्सीनेशन करवाया जाएगा। -डॉ. सूर्या खटकड़, उप निदेशक पशु पालन एवं डेयरी विभाग रोहतक