चंडीगढ़ यूटी सचिवालय में शुक्रवार को प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल की मौजूदगी में लंबित कार्यों को लेकर वार्ड नंबर-19 से 27 तक के पार्षदों और अधिकारियों के बीच बैठक हुई। पार्षदों ने शहर में कोई काम नहीं होने की बात कही, जिसे लेकर सलाहकार काफी खफा नजर आए। उन्होंने इंजीनियरिंग विभाग और एस्टेट ऑफिस को जमकर फटकार लगाई। यहां तक कह दिया कि काम में लापरवाही करने पर वह इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करवाएंगे।
सलाहकार ने पार्षदों से कहा कि ग्राउंड रियलिटी चेक करने के लिए वह खुद साइट पर जाएंगे और अगर बैठक में बताए काम पूरे नहीं हुए होंगे, तो वह संबंधित जेई को सस्पेंड करेंगे। सलाहकार ने कहा कि एस्टेट ऑफिस हर काम में फेल हो रहा है। बैठक में वार्ड नंबर-20 के गुरचरणजीत सिंह नहीं पहुंचे। अन्य पार्षद पार्षदों ने डिस्पेंसरी में अव्यवस्था, नए स्कूल, बस स्टॉप, साफ-सफाई, अतिक्रमण समेत कई मुद्दे उठाए।
पार्षदों को बताया नहीं जाता, उनकी शिकायत पर क्या काम हुआ
पार्षद अंजू कत्याल: खाली प्लॉट में घास की कटाई और सफाई नहीं होती। नोडल अफसर बनाना चाहिए।
सलाहकार धर्मपाल: इंजीनियरिंग विभाग बताए
चीफ इंजीनियर सीबी ओझा: एरिया के अनुसार नोडल अधिकारी की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है।
पार्षद: एक ग्रुप बनना चाहिए। बिजली विभाग में शिकायत करो तो पता नहीं चलता कि काम हुआ या नहीं। कोई जवाब नहीं देते।
चीफ इंजीनियर: एनआईसी के साथ मिलकर कंप्लेंट सिस्टम को बेहतर बना रहे हैं। एक महीने में सॉफ्टवेयर अपडेट हो जाएगा।
आयुक्त आनिंदिता मित्रा: हर वार्ड का हमने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया हुआ है। उसमें संबंधित जेई को जोड़ सकते हैं, तो समस्या हल हो जाएगी।
सलाहकार: पार्षद की शिकायत पर काम होने के बाद विभाग की तरफ से फीडबैक की क्या व्यवस्था है।
चीफ इंजीनियर: एनआईसी के साथ सॉफ्टवेयर बना रहे हैं।
सलाहकार: सॉफ्टवेयर थोड़ी बात करेगा।
चीफ इंजीनियर: कॉल सेंटर है। 8 लोग बिठाए हैं। वे हर शिकायत को नोट कर रहे हैं।
सलाहकार: वो कर क्या रहे हैं। उन्हें कहा जाए कि पार्षद का नंबर हो तो दोबारा कॉल करके फीडबैक जरूर दें।
बिजली के तार और बिल की समस्या पर उठा मुद्दा
पार्षद नेहा : बिजली के तार लटक रहे हैं। बिल बहुत ज्यादा आ रहे हैं।
सलाहकार : तारों के लिए क्या प्लानिंग है?
चीफ इंजीनियर : तारों के लिए 15 दिन पहले टेंडर अलॉट हुआ है। 3-4 महीने में काम हो जाएगा।
सलाहकार: स्मार्ट मीटर में क्या समस्या आ रही है?
पार्षद: जहां पर पहले 1300 बिल आता था, अब 6500 रुपये आ रहा है।
सलाहकार: इसे प्राथमिकता के आधार पर ठीक करना चाहिए।
पार्षद: एक्सईन से भी मिले थे। कुछ ठीक हुए लेकिन ज्यादातर अभी भी ऐसे ही हैं।
सलाहकार: ये समस्या क्यों आई है?
चीफ इंजीनियर: डाटा फीडिंग की समस्या है।
सलाहकार: किन-किन इलाकों में समस्या है?
चीफ इंजीनियर: जहां स्मार्ट मीटर लगे हैं, वहां समस्या है। टीम बना दी है। 80 फीसदी बिलों को जारी करने से पहले चेक कर रहे हैं।
प्रशासन के खाली प्लॉट बन रहे डंपिंग ग्राउंड
पार्षद प्रेम लता: सेक्टर-34 और 43 में प्रशासन के खाली प्लॉट्स पर सफाई नहीं होती।
सलाहकार: ये तो आम समस्या हो गई है। उस एरिया का जो भी जेई है, उसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
चीफ इंजीनियर: पूरा कार्यक्रम बनाया हुआ है। 3 सितंबर को घासों की कटाई की थी। फिर करने जा रहे हैं।
सलाहकार: जहां कटिंग नहीं हुई है। वहां के जेई पर कार्रवाई करनी चाहिए।
पार्षद गुरबक्श रावत : मेरे एरिया में भी समस्या है। पिछले सलाहकार को भी कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ। सुझाव है कि इन प्लॉट्स को मेंटेन करने का काम आउटसोर्स कर
देना चाहिए।
सलाहकार: हर जगह समस्या है। सिस्टम ठीक नहीं है।
चीफ इंजीनियर: अब 3-3 सेक्टर का टेंडर लगा रहे हैं। इससे समस्या दूर हो जाएगी।
गुरबक्श रावत: उस एरिया से मैं 10 साल से पार्षद हूं। अब तक समाधान नहीं निकल पाया।
सलाहकार : या तो अब चीफ इंजीनियर और उनके इंजीनियर्स के खिलाफ लापरवाही की एफआईआर की जाए, क्योंकि काम नहीं हो रहा है।
चीफ इंजीनियर: पहले पता ही नहीं था कि जमीन किसकी है। अब हमने लिस्ट बना ली है। जल्द काम पूरा कर लेंगे।
एस्टेट ऑफिस क्या रहा है: धर्मपाल
बैठक में एस्टेट ऑफिस के उन प्लॉट्स का भी मुद्दा उठा, जिनकी अभी तक नीलामी नहीं हो पाई है। पार्षदों ने कहा कि खाली प्लॉट में बसें खड़ी होती हैं। अवैध कब्जे हैं। एस्टेट ऑफिस को बताने के बाद भी कुछ नहीं होता। इस पर सलाहकार ने कहा कि एस्टेट ऑफिस की इंफोर्समेंट टीम क्या रही है। एईओ-2 सौरभ अरोड़ा ने कहा कि उन्हें टीम ने बताया है कि किसी प्लॉट पर कब्जा नहीं है। अगर ऐसा है तो वह सबसे पहले संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे। सलाहकार धर्मपाल ने कहा कि जिन निरीक्षकों ने ऐसा कहा है उनके खिलाफ कार्रवाई करो।
सभी पार्षदों ने कहा- प्रशासन के अधिकारी फोन नहीं उठाते
बैठक में लगभग सभी पार्षदों ने कहा कि प्रशासन के अधिकारी उनके फोन तक नहीं उठाते। उन्होंने कहा कि वह लोगों के काम के लिए अधिकारियों से संपर्क करते हैं, लेकिन काम करना तो दूर उनकी सुनी तक नहीं जाती। पार्षद जसबीर सिंह ने कहा कि एरिया में बिजली चली जाए तो पार्षद फोन करता रह जाता है, लेकिन बताया नहीं जाता कि कारण क्या है और कब तक आएगी। वह प्रशासन के अधिकारियों को मैसेज करते रह जाते हैं, लेकिन कुछ नहीं होता।