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हरियाणा | दिल्ली सरकार की तमाम हिदायतों के बाद भी निर्माण श्रमिकों के आवेदन लंबे समय तक लंबित पड़े हैं या खारिज कर दिए जाते है. बीते वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब आवेदन करने वाले 50 फीसदी श्रमिकों को योजनाओं का लाभ इसके चलते नहीं मिल पा रहा है.
यह हाल तब है जबकि निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के पास चार हजार करोड़ रुपये हैं. सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में भी 246 करोड़ रुपये का लाभ श्रमिकों तक पहुंचाने का रखा है.
दिल्ली सरकार के आउटकम बजट रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 11.51 लाख निर्माण श्रमिकों ने पंजीकरण कराया. उस समय बड़े स्तर पर अभियान चलाने के बाद 8.45 लाख श्रमिकों ने पंजीकरण कराया. लेकिन अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में जब 3.19 लाख श्रमिकों ने पंजीकरण नवीनीकरण के लिए आवेदन किया तो महज 1.77 लाख को मंजूरी मिली, जबकि 1.23 आवेदन लंबित पड़े रह गए और 19 हजार से अधिक को खारिज कर दिया. हालांकि सरकार का कहना है कि नवीनीकरण प्रक्रिया के लिए वर्तमान में कैंप से लेकर मोबाइल वैन तक की तैनाती की गई है. अब तक 1.35 लाख से अधिक आवेदन मिल चुके हैं.
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