हरयाणा न्यूज़: रोहतक जिले के लाखन माजरा खंड के बैंसी गांव में एक मकान का शहतीर टूटने से बड़ा हादसा हो गया। बुधवार रात को एक परिवार के लोग मकान के अंदर सो रहे थे। आधी रात को अचानक मकान का शहतीर टूट गया और मकान के अंदर सो रही दादी व पोती मलबे में दब गई। पोती की मौत हो गई, जबकि दादी को गंभीर हालत में रोहतक पीजीआई में भर्ती करवाया गया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बुधवार रात को बैंसी गांव के शेर सिंह कंबोज अपने मकान के बरामदे में अपने बच्चों के साथ सो रहे थे। उसके साथ उसका पांच साल का बेटा और उसकी 14 साल की बेटी रेनू भी सोए हुए थे। शेर सिंह की 65 वर्षीय मां रामदेवी और शेर सिंह की 50 साल की बहन मकान के अंदर सोई हुई थी। रात को शेर सिंह की बेटी रेनू भी बरामदे में से उठकर मकान के अंदर अपनी दादी के पास जाकर सो गई। बताते हैं कि करीब साढ़े 12 बजे मकान का शहतीर अचानक टूट गया। जिस वजह से मकान की छत का सारा मलबा नीचे आ गिरा। रेणू और उसकी दादी रामदेवी इस मलबे में दब गई। जबकि साथ सो रही रेणू की बुआ इस हादसे में बाल बाल बच गई। हादसे के बाद सूचना मिलते ही लाखन माजरा थाने से सब इंस्पेक्टर नरेश कुमार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दादी व पोती को उपचार के लिए रोहतक पीजीआई में भर्ती करवाया। जहां उपचार के दौरान 14 वर्षीय रेनू की मौत हो गई। जबकि दादी का उपचार चल रहा है।
रेनू की मां की तीन साल पहले हो गई थी मौत, पढाई के साथ घर का चूल्हा चौका संभालती थी: तीन साल पहले रेनू जब 11 साल की थी, तब उसकी मां की मौत हो गई थी। रेनू की 50 साल की बुआ भी कई साल से मानसिक बीमार है और उनके घर पर ही रहती है। मां की मौत के बाद रेनू अपनी बुजुर्ग दादी, अपनी बीमार बुआ और अपने पिता व भाई के लिए खाना बनाती थी और घर का सारा काम करती थी। साथ ही अपनी पढ़ाई करती थी। अब वह लाखन माजरा के सरकारी स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती थी। बताते हैं कि रेनू पढ़ाई में होशियार थी। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उसे सम्मानित किया गया था। वह पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहती थी। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।