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भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायकों के बीच आपसी मतभेदों को शीर्ष नेतृत्व ने काफी गंभीरता से लिया है
भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायकों के बीच आपसी मतभेदों को शीर्ष नेतृत्व ने काफी गंभीरता से लिया है। गत दिवस पंचकूला में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के सांसद और विधायकों की संयुक्त बैठक में साफ कहा कि सांसद के कहने पर विधायक और विधायक के कहने पर सांसद का टिकट नहीं कटेगा।
नड्डा ने कहा कि टिकट किसको मिलेगा, यह फैसला संगठन करेगा। जनप्रतिनिधि आपस में लड़ना छोड़कर संगठन की मजबूती और अपने क्षेत्र में जनसंपर्क पर फोकस करें। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने जब राष्ट्रीय अध्यक्ष को मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया तो नड्डा बोले-पहले उन्हें मार्ग तो बताओ, जिस पर दर्शन देना है। यानी पहले कोई समस्या-सुझाव तो विधायक-सांसद दें।
नड्डा के आमंत्रण पर भी लगभग सभी जनप्रतिनिधियों के मुंह पर ताले लगे रहे। हां, राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा ने बड़े सहज भाव से यह प्रार्थना अवश्य की कि जनप्रतिनिधियों पर कई बार तबादले और नौकरी के लिए बड़ा दबाव होता है। कुछ मामलों में जनप्रतिनिधि की संस्तुति सुननी चाहिए।
इस पर नड्डा ने एक नहीं कई उदाहरण देकर बैठक में बताया कि नौकरी देकर या अच्छी जगह पोस्टिंग कराने पर भी कोई जनप्रतिनिधि के प्रति समर्पित हो, यह सत्य नहीं है। बिहार के मौजूदा सीएम नीतिश कुमार ने रेल मंत्री रहते हुए खूब नौकरियां बांटी, मगर वह भी चुनाव हारे, इसलिए इसमें तो मैरिट ही चले तो ज्यादा बेहतर रहता है। किसी को यह कहने का मौका भी नहीं मिलता कि फलां का बेटा-बेटी लग गए और उसके रह गए।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनके कामकाज की जमकर प्रशंसा की। सरकारी नौकरियों में भर्ती मैरिट के आधार पर किए जाने संबंधी कार्य की प्रशंसा करते हुए नड्डा ने बताया कि मनोहर लाल तो संगठन मंत्री रहते हुए हिमाचल प्रदेश में यह नीति लागू करवाना चाहते थे। हिमाचल प्रदेश में तब प्रेम कुमार धूमल सीएम थे और वे उनके मंत्रिमंडल में मंत्री थे। तब मैरिट लागू नहीं हो पाई मगर उन्होंने सीएम रहते हुए मैरिट लागू कर प्रदेश के युवाओं के हितों को सुरक्षित किया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बैठक में अपनी बात शुरू करने से पहले सांसद और विधायकों से कई बार कहा कि पहले वह अपनी समस्याएं या सुझाव दें, तभी तो वह उनका समाधान बताएंगे। बावजूद इसके कोई कुछ नहीं बोला। केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने नड्डा के इस कथन को आगे बढ़ाते हुए यह सुझाव दिया कि इसके लिए राज्य के एक छोर पर स्थित अंबाला से शुरुआत की जानी चाहिए।
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