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यह दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख भागीदारों के साथ काम का समन्वय करेगा.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन भारत के प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर 21 अप्रैल को भारत का दौरा करेंगे. प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉनसन का यह पहला भारत दौरा है. वह अपने दौरे की शुरुआत गुजरात से करेंगे. यहां बोरिस जॉन्सन निवेश और व्यापारिक संबंधों पर कई उद्योगपतियों से भी मीटिंग करेंगे. इसके बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री अगले दिन यानी 22 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. ब्रिटिश प्रधानमंत्री की इस यात्रा को यूके की नई इंडोपेसिफिक नीति से भी जोड़ा जा रहा है. बता दें कि ब्रिटेन में बसे भारतीय-ब्रिटिश नागरिकों में से आधे से ज़्यादा गुजराती मूल के हैं. लिहाज़ा डायस्पोरा कनेक्ट के तौर पर भी इसे अहम माना जा रहा है.
व्यापार के मुद्दे पर होगी अहम बात
इससे पहले मई 2021 में दोनों नेताओं के बीच वर्चुअल मीटिंग हुई थी और 2030 के रोडमैप पर बात हुई थी. यह रोडमैप स्वास्थ्य, जलवायु, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और रक्षा में यूके-भारत संबंधों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है. बैठक के दौरान दोनों देश संबंधों की स्थिति को 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी' ( Comprehensive Strategic Partnership) तक बढ़ाने पर भी सहमत हुए थे. व्यापार समझौते की चर्चा के बीच इस वर्चुअल बैठक के प्रमुख परिणामों में दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक दोगुना करने पर सहमति बनी थी. वर्तमान में ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार लगभग 23 बिलियन पाउंड प्रति वर्ष है.
भारत के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होगा ब्रिटेन
पिछले महीने ही ब्रिटेन की विदेश सचिव लिज़ ट्रस यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बीच "Wider Diplomatic Push" के सदस्य के तौर पर भारत दौरे पर आई थीं. पिछले साल अक्टूबर में विदेश सचिव के रूप में यह उनकी दूसरी यात्रा थी और 13 महीनों में विदेश मंत्री के रूप में उनकी तीसरी यात्रा थी. ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन, भारत के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होगा और समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर एक प्रमुख भागीदार बन जाएगा. यह दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख भागीदारों के साथ काम का समन्वय करेगा.
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