गुजरात

गुजरात का यह मंदिर बना सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, PM मोदी करेंगे उद्घाटन

Renuka Sahu
17 Jun 2022 1:55 AM GMT
This temple of Gujarat became an example of communal harmony, PM Modi will inaugurate
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फाइल फोटो 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून को पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर पुनर्विकसित कालिका माता मंदिर का उद्घाटन करेंगे.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 जून को पंचमहल जिले में पावागढ़ पहाड़ी के ऊपर पुनर्विकसित कालिका माता मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इंजीनियरिंग का नायाब नमूना होने के अलावा, 11 वीं शताब्दी के इस मंदिर के परिसर में एक दरगाह भी है, जो सांप्रदायिक सौहार्द का भी एक शानदार उदाहरण है. मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, पहली बार, मंदिर में एक शिखर (अधिरचना और शिखर) होगा, जहां पहले हजरत सदनशाह वाली पीर दरगाह खड़ी थी, जिसे पुनर्विकास के दौरान हिंदू और मुस्लिमों के बीच मैत्रीपूर्ण समझौते के तहत मंदिर के बगल में एक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी मंदिर के उद्घाटन के दौरान लाल और स्वर्ण रंग का झंडा फहराएंगे.

कालिका माता ट्रस्ट के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मंदिर के पुनर्विकास कार्य के दौरान दरगाह को शिफ्ट करना सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा था. ट्रस्टी ने कहा, 'हमने समझौते के तहत दरगाह का पुनर्निर्माण भी किया.' मंदिर और दरगाह का पुनर्निर्माण अहमदाबाद स्थित वास्तुकार आशीष सोमपुरा की देखरेख में किया गया है. उन्हीं की देखेरख में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी हो रहा है. गुरुवार को, पीएम की यात्रा से पहले मंदिर को जनता के लिए बंद करने से ठीक पहले, यह स्थल चहल-पहल से भरा हुआ था.
पीएम मोदी कालिका माता मंदिर में 18 जून को ध्वजारोह​ण करेंगे
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने पीएम मोदी को मंदिर तक ले जाने के लिए स्थापित अस्थायी रोपवे की जांच के लिए एक मॉक ड्रिल किया, जो समुद्र तल से 800 मीटर ऊपर है. एनडीआरएफ ने ध्वज खंभे के चरखी का परीक्षण भी किया, जिसका उपयोग पीएम 'ध्वजरोहण' (झंडा फहराने) के लिए करेंगे. ट्रस्ट के एक नोट के अनुसार, चंपानेर शहर में स्थित मंदिर, राजपूतों द्वारा शासित एक पूर्ववर्ती राज्य था, जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के वंशज होने पर गर्व करते थे.
कहा जाता है पावागढ़ में मां सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था
ऐसा कहा जाता है कि यहां मां सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था और इसलिए कालिका माता मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है, और राजपूत राजा यहां ध्वजारोहण करते थे. यूनेस्को ने चंपानेर-पावागढ़ को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया है और इसे एकमात्र 'पूर्ण और अपरिवर्तित इस्लामी पूर्व-मुगल शहर' कहा है. इसमें पहाड़ी पर कालिका माता मंदिर और तलहटी में जामा मस्जिद भी शामिल है. ट्रस्ट द्वारा रखे गए एक नोट के अनुसार ऐसा माना जाता है कि 15 वीं शताब्दी में, सुल्तान महमूद बेगड़ा ने चंपानेर पर विजय प्राप्त की, जहां उसने अपनी राजधानी स्थापित की और 'मंदिर के शिखर को नष्ट कर दिया', ऐसा समझा जाता है कि सदनशाह पीर दरगाह उस समय के आसपास बनाई गई थी.
कालिका माता मंदिर की पुनर्विकास लागत 125 करोड़ रुपए रही
कालिका माता मंदिर की पुनर्विकास लागत 125 करोड़ रुपए रही, जिसमें से 12 करोड़ रुपये मंदिर के पुनर्विकास पर खर्च हुए. इसका वहन ट्रस्ट द्वारा किया गया. वहीं, गुजरात सरकार के पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड (GPYVB) ने कुल खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा वहन किया. यहां केबल कार की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके लिए एक तरफ से 130 रुपये (जीएसटी सहित) प्रति व्यक्ति खर्च करने होते हैं. कई आगंतुक पैदल चलना पसंद करते हैं.
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