गुजरात

सुप्रीम कोर्ट ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा था, जिसकी सलाह पर दोषियों को रिहाई में छूट मिली

SANTOSI TANDI
24 Aug 2023 10:08 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा था, जिसकी सलाह पर दोषियों को रिहाई में छूट मिली
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जिसकी सलाह पर दोषियों को रिहाई में छूट मिली
गुजरात:सुप्रीम कोर्ट आज बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आज दोपहर 2 बजे से सुनवाई चल रही है।गुरुवार को दोषियों के वकील अपनी दलीलें रख रहे हैं।
17 अगस्त को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुईयां की बेंच ने एडवाइजरी कमेटी का ब्योरा मांगा था, जिसके आधार पर दोषियों को समय से पहले रिहा किया गया था।
पिछली सुनवाई में गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ASG राजू ने कोर्ट में कहा था कि कानून यह नहीं है कि हर किसी को हमेशा के लिए सजा दी जाए। कैदियों को सुधार का मौका मिलना चाहिए।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में किए थे 3 सवाल
जस्टिस नागरत्ना ने पूछा कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस के दोषियों को ही क्यों दिया गया, बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं मिली।
अदालत ने यह भी पूछा कि जब गोधरा की कोर्ट ने ट्रायल नहीं किया, तो उससे राय क्यों मांगी गई?
जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। रिहाई में छूट को कैदियों पर कितना लागू किया जा रहा है? हमारी जेलें खचाखच भरी क्यों हैं?
अगस्त में अब तक हुई सुनवाई
24 जुलाई की सुनवाई: जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम अंतिम सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय कर रहे हैं। तब तक सभी पक्ष अपने जवाब, लिखित दलीलें कोर्ट में सबमिट करें। सभी पक्ष ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। पढ़ें पूरी खबर...
7 अगस्त की सुनवाई : बिलकिस की तरफ से पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने बताया कि इस केस के दोषी मुसलमान के खून के प्यासे थे। वो बस उसे मारना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई दिनों तक उसके परिवार का पीछा भी किया था। पढ़ें पूरी खबर...
8 अगस्त की सुनवाई : आरोपियों की तरफ से पेश एक वकील ने कोर्ट में कहा था- जब पीड़ित मौजूद है तब दूसरों के पास याचिका का अधिकार नहीं है। दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह लोकस स्टैंडी के तहत PIL पर सुनवाई का निर्देश दिया। पढ़ें पूरी खबर...
17 अगस्त की सुनवाई : इस पर जस्टिस नागरत्ना ने पूछा कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस के दोषियों को ही क्यों दिया गया, बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं मिली। अदालत ने यह भी पूछा कि जब गोधरा की कोर्ट ने ट्रायल नहीं किया, तो उससे राय क्यों मांगी? पढ़ें पूरी खबर...
गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में हुआ था बिलकिस के साथ हादसा
बिलकिस बानो के साथ यह हादसा जब हुआ तब वे 21 साल की और पांच महीने की गर्भवती थीं। 2002 में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ गैंगरेप किया गया था। दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से उनकी तीन साल की बेटी भी एक थी।
इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 15 अगस्त 2023 को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था। जिसके खिलाफ बिलकिस ने 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
बिलकिस ने दाखिल की थीं दो याचिकाएं
बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी।
वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?
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तलवार-हंसिया लिए भीड़ ने हमें घेर लिया
सद्दाम की शादी हो चुकी है और उनका 4 साल का एक बेटा है। सद्दाम ने हमें अपनी फोटो तो लेने दी, लेकिन पत्नी की फोटो लेने से रोक दिया।
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बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषी, 18 साल जेल में रहने के बाद रिहा हो चुके हैं। उनकी इस रिहाई को अदालत में चुनौती दी गई है। सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है।इस केस के बस दो ही जिंदा किरदार हैं, एक बिलकिस खुद और दूसरा घटना के वक्त महज 7 साल उम्र का बच्चा सद्दाम। पढ़ें सद्दाम की पूरी कहानी...
बिलकिस बानो से गैंगरेप- क्या वाकई उम्रकैद का मतलब उम्र भर की कैद नहीं?
रेप और मर्डर जैसे गंभीर अपराध में उम्रकैद की सजा पाए बिलकिस के दोषियों की 15 साल में रिहाई से सवाल खड़े हुए हैं। 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि क्या वाकई उम्रकैद का मतलब उम्र भर की कैद नहीं है? इन्हें किन कानूनी आधार पर रिहा किया गया है
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