प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तरी गुजरात के दीसा में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास नए सैन्य हवाई अड्डे की आधारशिला रखी. यह हवाई अड्डा भारत-पाक सीमा से महज 130 किमी की दूरी पर स्थित है. पाकिस्तान से नजदीक होने के लिहाज से वायुसेना का यह एयरबेस काफी महत्वपूर्ण है. इस एयरबेस से भारत की सैन्य ताकत में इजाफा होगा. यह बात सभी जानते हैं कि पाकिस्तान हमारा कट्टर दुश्मन है. आए दिन वह भारत को परेशान करने की कोशिश में लगा रहता है. ऐसे में अगर कभी युद्ध के हालात बनते हैं तो दीसा एयरबेस एक महत्वपूर्व भूमिका अदा करेगा.
दीसा एयरबेस को बनाने का निर्णय केंद्र की मोदी सरकार ने 2020 में लिया था. इस एयरबेस को बनाने में करीब एक हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, युद्ध के दौरान एयरबेस की महत्ता काफी बढ़ जाती है. यहां पर डिटैचमेंट लगा दिया जाता है. इस कारण यहां से दुश्मन देश से मुकाबला करने में आसानी होती है. दीसा गांधीनगर स्थित दक्षिण पश्चिम वायु कमान (स्वैक) मुख्यालय के तहत नौंवा एयरबेस है. स्वैक के अधीन गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के एयरबेस आते हैं.
2024 तक एयरबेस के तैयार होने की संभावना
यह एयरबेस दक्षिण-पश्चिम एयर कमांड के लिए महत्वपूर्ण लोकेशन साबित होगा. इस एयरबेस से देश के तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की सुरक्षा में मदद मिलेगी. इस एयरबेस पर बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर सहित नई पीढ़ी के विमानों को तैनात किया जाएगा. वर्ष 2024 तक इस एयरबेस के तैयार होने की संभावना है. यह 4500 एकड़ में फैला हुआ है. दक्षिण-पश्चिम एयर कमांड में अभी गुजरात के कच्छ के भुज और नलिया में वायुसेना के एयरबेस हैं. वहीं राजस्थान के जोधपुर, जयपुर और बाड़मेर एयरबेस हैं. इस एयरबेस के बनने के गुजरात के साथ-साथ दक्षिण-पश्चिम एयर कमांड की भी ताकत बढ़ेगी.
दीसा में वर्तमान में लगभग एक हजार मीटर के रनवे के साथ केवल एक ही हवाई पट्टी है, जिसका उपयोग नागरिक और चार्टर विमान संचालन और वीवीआईपी आंदोलनों के लिए हेलिकॉप्टर लैंडिंग के लिए किया जाता है. हवाई पट्टी को अनारक्षित के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसलिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस)- उड़ान के तहत भी विकास के लिए पात्र है.