प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमारे समाज को अप्रचलित सामाजिक कानूनों से मुक्ति मिल गयी क्योंकि हम जानते हैं कि अगर वे रूढ़िवादी बन जाते तो उन्नति में बाधक साबित होते।
कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा: पीएम मोदी pic.twitter.com/at8pIOmxB0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 15, 2022
उन्होंने कहा कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक भी पहुंचाएगी। भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 'इवनिंग' अदालतों की शुरुआत करने और फिर उसकी सफलता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इससे लोगों का समय भी बचता था और मामले की सुनवाई भी तेजी से होती थी। उन्होंने कहा कि लोक अदालतें भी देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम बनी हैं और कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों मामलों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी बहुत कम हुआ है और खासतौर पर गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून बनाने का मकसद कितना ही अच्छा हो लेकिन अगर उसमें ही भ्रम और स्पष्टता का अभाव होगा तो इसका बहुत बड़ा खामियाजा भविष्य में आम नागरिकों को उठाना पड़ता है और इस चक्कर में आम नागरिकों को बहुत सारा धन खर्च करके न्याय प्राप्त करने के लिए इधर-उधर दौड़ना पड़ता है।