गुजरात

हर-हर महादेव के नाद से गूंज उठा सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

SANTOSI TANDI
28 Aug 2023 11:17 AM GMT
हर-हर महादेव के नाद से गूंज उठा सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
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उठा सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
गुजरात: में सावन माह के दूसरे सोमवार को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। गुजरात में सावन का दूसरा सोमवार इसलिए है, क्योंकि यहां अमावस्या तिथियों के हिसाब से गणना होती है। इसलिए गुजरात और महाराष्ट्र में में उत्तर भारत के पंचांग से 15 दिनों का अंतर होता है। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के पारंपरिक पंचांग में सावन मास को साल का 10वां महीना माना जाता है।
दरअसल अमावस्या की गणना के हिसाब से कार्तिक मास से नववर्ष का आरंभ होता है और उत्तर भारत में चैत्र मास से नववर्ष का आरंभ होता है। वहीं उत्तर भारत में सावन मास को पांचवा महीना माना जाता है। यहां सावन के महीनों में भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
उत्तर भारत में सावन मास को पांचवा महीना माना जाता है। यहां सावन के महीनों में भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
उत्तर भारत में सावन मास को पांचवा महीना माना जाता है। यहां सावन के महीनों में भगवान शिव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
12 में से 7 ज्योतिर्लिंग में आज सावन का दूसरा सोमवार
उत्तर और मध्य भारत में सावन का आज आखिरी दिन है, लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में आज सावन का दूसरा सोमवार है। इन क्षेत्रों में शिवजी के 12 में से 7 ज्योतिर्लिंग हैं। महाराष्ट्र में घृष्णेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर ये तीन ज्योतिर्लिंग है। गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर ये दो ज्योतिर्लिंग है। दक्षिण भारत में एक रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग है। आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है।
15 दिनों यानी एक पक्ष का अंतर
मध्य भारत और उत्तर भारत में पूर्णिमा को माह का अंत होता है और इसके बाद अगले दिन से नया माह शुरू होता है। इसे पूर्णिमांत कहा जाता है। जबकि, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण में अमांत माह का प्रचलन है। पूर्णिमांत और अमांत पंचांग में 15 दिनों यानी एक पक्ष का अंतर है।
उज्जैन में सावन माह महाकालेश्वर की सवारी भाद्रपद मास में भी निकाली जाती है, क्योंकि यहां पुराने समय में मराठा राजाओं का शासन था और उनके पंचांग के आधार पर सावन माह की सवारी भादौ मास के एक पक्ष में भी निकाली जाने लगी।
जहां उत्तर भारत का पंचांग चलता है, वहां भाद्रपद मास में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
जहां उत्तर भारत का पंचांग चलता है, वहां भाद्रपद मास में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
पंचांगों में रहता है 15 तिथियों का अंतर
गुजरात में अमावस्या पर माह खत्म होता है और इसके बाद आने वाली प्रतिपदा तिथि से नया महीना शुरू होता है। इसे अमांत कहा जाता है। उत्तर भारत और गुजरात के पंचांगों में 15 तिथियों का अंतर रहता है। इसी कारण जहां उत्तर भारत का पंचांग चलता है, वहां भाद्रपद मास में जन्माष्टमी मनाई जाती है, जबकि हमारे क्षेत्र में सावन माह में ही ये पर्व आता है।
पंचांग भेद, लेकिन सभी त्योहारों के दिन एक समान
उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग अलग-अलग हैं, लेकिन पूरे सभी त्योहारों की तारीखें एक समान रहती हैं। अगले एक माह में 3 अगस्त को रक्षाबंधन और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के पंचांग में सावन माह में जन्माष्टमी आती है, जबकि उत्तर भारत के पंचांगों में भाद्रपद मास में ये त्योहार आता है।
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