गुजरात
गुजरात दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने की मां हीराबेन से मुलाकात
Renuka Sahu
28 Aug 2022 1:27 AM GMT
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फाइल फोटो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की शाम गांधीनगर के रायसन इलाके में अपनी मां हीराबेन मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की शाम गांधीनगर के रायसन इलाके में अपनी मां हीराबेन मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की.पीएम मोदी दिन में दो दिवसीय दौरे पर गुजरात पहुंचे. प्रधानमंत्री के छोटे भाई पंकज मोदी ने कहा कि वह देर शाम मां से मिले. उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में खादी उत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद उनके साथ आधा घंटा बिताया.
बाद में प्रधानमंत्री गांधीनगर स्थित राजभवन के लिए रवाना हो गए जहां वह रात्रि विश्राम करेंगे. प्रधानमंत्री रविवार को कच्छ एवं गांधीनगर में कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. खादी उत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने चरखे के साथ अपने निजी संबंध के बारे में बात की थी और याद किया कि उनकी मां बचपन में चरखे पर काम करती थीं. प्रधानमंत्री ने इससे पहले 18 जून को अपनी मां से मुलाकात की थी.
आजादी के बाद खादी की अनदेखी की गई : प्रधानमंत्री मोदी
साबरमती नदी तट पर खादी उत्सव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आजादी के बाद खादी की अनदेखी की गई, लेकिन अब यह 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बन सकती है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद खादी की अनदेखी की गई जिसके चलते देश में बुनकरों की स्थिति खराब हो गई. उन्होंने कहा कि जिस तरह से खादी स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरक बनी, यह आत्मनिर्भर भारत के लिए भी प्रेरक बन सकती है.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में उल्लेख किया कि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के दौरान शनिवार को करीब 7,500 महिलाओं ने कार्यक्रम में एक साथ चरखा चला कर एक कीर्तिमान बनाया है. उन्होंने कहा कि यह स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने का एक अच्छा माध्यम है. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर खुद भी चरखा चलाया.
उन्होंने कहा, 'इतिहास गवाह है कि खादी स्वतंत्रता संघर्ष के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बन गयी और गुलामी की बेड़ियां तोड़ डाली. इसी तरह से खादी भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने, आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान खादी को आत्मसम्मान का प्रतीक बना दिया था.
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