गुजरात

ठाकुर समुदाय में शुरू हुआ हार्दिक पटेल की तर्ज पर आंदोलन, शराबबंदी को लेकर भी उठाई आवाज, जानिए कौन हैं अल्पेश ठाकोर

Renuka Sahu
30 April 2022 3:07 AM GMT
Movement on the lines of Hardik Patel started in Thakur community, also raised voice regarding prohibition, know who is Alpesh Thakor
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फाइल फोटो 

अल्पेश ठाकोर गुजरात के एक राजनीतिज्ञ है. उनका जन्म 7 नवंबर 1975 को गुजरात के एंदला में हुआ.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अल्पेश ठाकोर (Alpesh Thakor) गुजरात के एक राजनीतिज्ञ है. उनका जन्म 7 नवंबर 1975 को गुजरात के एंदला में हुआ. उनके पिता खोदाजी एक किसान हैं. अल्पेश 2017 में राधनपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. अल्पेश की छवि गुजरात (Gujarat Assembly Election) में एक पिछड़ा वर्ग के नेता के रूप में है, वह सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. अल्पेश ने पाटीदारों को आरक्षण दिए जाने की मांग का विरोध किया था, जिसके चलते हुए वह चर्चित भी हुए. उन्होंने इसके लिए एक समानांतर आंदोलन भी चलाया. अल्पेश ने 2011 में क्षत्रिय ठाकुर सेना की स्थापना की जिस की सदस्य संख्या इस समय 7 लाख से ज्यादा हो चुकी है. उन्होंने 2016 में शराबबंदी (Liquor Ban) के खिलाफ बड़ा आंदोलन भी किया. वर्तमान में अल्पेश ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं.

अल्पेश ठाकुर को एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान मिली. 2011 में उन्होंने क्षत्रिय ठाकोर सेना की स्थापना की. उन्होंने गुजरात में इस समुदाय के अधिकारों के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया फिर 2016 में उन्होंने ठाकुर समुदाय के सदस्यों को शराब की लत से छुटकारा दिलाने के लिए आंदोलन चलाया. 2017 तक क्षत्रिय ठाकोर सेना की सदस्य संख्या 7 लाख हो चुकी है.
हार्दिक पटेल को देखकर शुरू किया आंदोलन
अल्पेश ठाकोर गुजरात के एक कोली ठाकोर समुदाय से आते हैं. उन्होंने हार्दिक पटेल के द्वारा पाटीदार आरक्षण आंदोलन को देखते हुए अपने समाज के लिए भी एक आंदोलन शुरू किया. उन्होंने अपने समुदाय के लिए विशेष आरक्षण की मांग की. वहीं इस समुदाय में ओबीसी एससी-एसटी के लिए ओएसएस एकता मंच की स्थापना की. वहीं उन्होंने पाटीदार आंदोलन का विरोध भी किया. जिसके चलते 2015 में मेहसाणा में ओबीसी समुदाय की बैठक में उन्हें गिरफ्तार किया गया.
अल्पेश ठाकोर का राजनीतिक सफर
अल्पेश ठाकोर का राजनीतिक सफर 30 अक्टूबर 2017 से शुरू हुआ. इसी दिन वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस के टिकट पर राधनपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. 9 अप्रैल 2019 को उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया. 18 जुलाई 2019 को वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्होंने राधनपुर से उप चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उन्हें 3500 मतों से हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी के लिए अल्पेश ठाकोर से फायदे
कांग्रेस से त्यागपत्र देकर अल्पेश ठाकोर ने बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी पिछड़ों और उच्च जाति के मतदाताओं के सहारे बीते 25 सालों से सत्ता में बनी हुई है. लेकिन पाटीदार इन दिनों बीजेपी से नाराज हैं. ऐसे में ओबीसी मतदाताओं का साथ होना बीजेपी के लिए जरूरी है. इसी वजह से अल्पेश का बीजेपी के साथ आना एक फायदे का सौदा है. अल्पेश के माध्यम से बीजेपी पिछड़ों को साधने की कोशिश में जुटी हुई है.
गुजरात में अल्पेश ठाकोर की महत्ता
गुजरात की राजनीति में पिछड़ा मतदाताओं की काफी अहमियत है. राज्य में 50 फीसदी के करीब पिछड़ा मतदाता है. ऐसे में इस समुदाय के पिछड़ा नेता के रूप मेंअल्पेश ठाकोर एक बड़ा नाम है. जब वो कांग्रेस में गए तो बीजेपी इससे चिंतित जरूर हुई. क्योंकि वे पिछड़े समुदाय के एक बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं. इसी वजह से बीजेपी ने उन्हें अपनी पार्टी में लाने की भरपूर कोशिश की और अंत में जुलाई 2019 में भाजपा अल्पेश को साथ लाने में सफल रही. वही अल्पेश के कांग्रेस छोड़कर जाने से पार्टी को नुकसान भी हुआ है. 2022 के विधानसभा चुनाव में अल्पेश की वजह से जहां भाजपा कि पिछड़ा वर्ग में पकड़ मजबूत हुई है. वही कांग्रेस की पकड़ कमजोर हुई है.
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