गुजरात

मनीष सिसोदिया बोले- 'सेंटर से नहीं दिखेगी गुजरात के सरकारी स्कूलों की असल तस्वीर'

Deepa Sahu
18 April 2022 6:35 PM GMT
मनीष सिसोदिया बोले- सेंटर से नहीं दिखेगी गुजरात के सरकारी स्कूलों की असल तस्वीर
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सोमवार शाम गुजरात की राजधानी गांधीनगर में शिक्षा के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (विद्या समीक्षा केंद्र) का दौरा करने से पूर्व पीएम मोदी की ओर से किए गए।

अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सोमवार शाम गुजरात की राजधानी गांधीनगर में शिक्षा के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (विद्या समीक्षा केंद्र) का दौरा करने से पूर्व पीएम मोदी की ओर से किए गए टवीट् पर दिल्ली के शिक्षामंत्री व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को ट्वीट किया।

सिसोदिया ने पिछले सप्ताह गुजरात के सरकारी स्कूलों के अपने दौरे की तस्वीरों के साथ गुजरात के सरकारी स्कूलों की बदहाल दशा के बारे में ट्वीट करते हुए कहा कि 'प्रधानमंत्री जी! विद्या समीक्षा केंद्र के मॉडर्न सेंटर से शायद गुजरात के सरकारी स्कूलों की असल तस्वीर आपको न दिखें, जहां बैठने के लिए डेस्क नहीं है,क्लासों में मकड़ी के जाले ऐसे लगे हैं, जैसे बंद कबाडख़़ानों में होते हैं। टॉयलट टूटे पड़े हैं। मैंने खुद गुजरात के शिक्षामंत्री के क्षेत्र में ऐसे स्कूल देखे हैं।'
सिसोदिया ने बयान जारी कर कहा कि गुजरात के सरकारी स्कूलों का हाल बदहाल है। गुजरात के शिक्षामंत्री जीतूभाई वाघाणी के गृहनगर भावनगर के सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा अपने गुजरात दौरे में स्कूलों के बदहाली पर ध्यान देने के बजाय विद्या समीक्षा केंद्र के मॉडर्न सेंटर का दौरा करना और शिक्षकों को बुनियादी सुविधाएं न देते हुए उनसे लर्निंग आउटकम की अपेक्षा करना गुजरात के सरकारी स्कूल सिस्टम के साथ बेमानी होगी। इसलिए जरूरी है कि पहले गुजरात में शिक्षा के बुनियाद पर काम किया जाए। दयनीय हालत में पढऩे-पढ़ाने को मजबूर स्टूडेंट्स-टीचर्स को बेसिक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं।शिक्षा नहीं रहा भाजपा के राजनीतिक विजन का हिस्सा
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि पिछले 27 सालों से सत्ता में होने के बावजूद गुजरात के सरकारी स्कूलों की बेहतरी के लिए भाजपा सरकार की ओर से कुछ नहीं किया क्योंकि शिक्षा कभी भाजपा के राजनीतिक विजन व एजेंडे का हिस्सा ही नहीं रहा। इसी का नतीजा है कि गुजरात के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे व पढ़ाने वाले शिक्षक खुद को दोयम दर्जे का महसूस करते है।


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