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सूरत के सचिन इलाके के कपलेथा गांव में पांच महीने पहले दो साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आज सूरत सेशन कोर्ट में अहम फैसला सुनाया गया है। सूरत सेशन कोर्ट ने दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है।
आरोपी इस्माइल लड़की के पिता का दोस्त है
27 फरवरी को 1 साल 9 महीने की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना हुई थी। इस मामले में दो दिन पहले सूरत की सेशन कोर्ट ने आरोपी यूसुफ इस्माइल को दोषी करार दिया था। वहीं आज कोर्ट ने फैसला सुनाया और आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। सत्र न्यायालय षष्टम अपर न्यायाधीश एस.एन. सोलंकी की अदालत में यह मामला चला। 23 साल के आरोपी इस्माइल ने बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी थी। इस्माइल लड़की के पिता का दोस्त था खेलने के बहाने बच्ची को ले गया था।
पीड़ित परिवार को 10 लाख मुआवजा देने का आदेश
नयन सुखडवाला ने आगे कहा कि आज सूरत के छठे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संकुतलाबेन एन. सोलंकी ने आरोपी इस्माइल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376 ए, बी और पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और आरोपी को मौत की सजा सुनाई और जुर्माना लगाने का आदेश दिया। इसके अलावा धारा 363, 366 के तहत आरोपी को आजीवन कारावास और 1 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। साथ ही पीड़ित परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
इस मामले में वैज्ञानिक सबूत भी थे
आगे कहा गया कि इस मामले में वैज्ञानिक सबूत थे, आखिरी घटनास्थल, बच्चे को ले जाने के सबूत, सीसीटीवी फुटेज और आरोपी के मोबाइल फोन से क्लिप, आरोपी 20 साल का था तभी उसने 35 से 40 साल की महिला के साथ इस प्रकार का कृत्य किया था। डीएनए साक्ष्य, एफएसएल साक्ष्य , आरोपी के मोबाइल फोन से छोटे बच्चों को कैसे मारा जाए इसके सर्च भी मिले हैं। ये सारे सबूत पेश किए गए, ये सभी सबूत अहम साबित हुए।
मजबूत दलीलें और सबूत पेश किए गए
सरकारी वकील नयन सुखडवाला की ओर से अदालत में इस केस को रेयर ऑफ द रेयर केस मानने की दलील में मच्छीसिंह केस का उदाहरण दिया गया। अदालत में आरोपियों की क्रूर मानसिकता उजागर हुई, जिसका पता पीड़िता की उम्र और उसकी असहाय हालत से पता चला। उन्हें लगी चोटें अदालत में दिखाई गईं। आरोपी ने दर्शाया था कि वह पहले भी एक महिला के साथ इसी तरह की हरकत कर चुका है।
न्यायाधीश सकुंतलाबेन सोलंकी साहब की अदालत में न्यायिक कार्यवाही
इस घटना के 5 महीने के भीतर इस मामले की न्यायिक कार्यवाही सूरत के छठे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सकुंतलाबेन सोलंकी साहब की अदालत में चली। उस वक्त पिछली सुनवाई में आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 363, 366, पॉस्को एक्ट 376, एबी, 377 आदि के तहत दोषी करार दिया गया था। आरोपी को दोषी करार दिए जाने के बाद सजा को लेकर आज बहस की गई, जिसमें इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम माना गया है, इसलिए सरकारी वकील की ओर से अधिकतम सजा मौत की मांग की गई। जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई ।
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