अहमदाबादः देश सेवा का जज़्बा किसके अंदर नहीं होता, हममें से हर कोई किसी ना किसी रूप से देश की सेवा और इससे जुड़ी संस्थाओं का भाग बन देश हित में चल रही योजनाओं का हिस्सा बनना चाहता है , परन्तु कितने लोग हैं जो इसमें सफल हो पाते हैं ? और सफल होने के बाद भी कितने व्यक्ति होते हैं जो व्यस्तता भरे जीवन में भी अपनी क्षमताओं और कौशलता का उपयोग अपने समाज के लिए कर पाते हैं ? जी हां, बात हो रही है ऐसे ही एक कुशल सिविल सर्वेंट की, देव प्रकाश मीणा जो कि वर्ष 2008 बैच के आई.आर.एस अधिकारी हैं और वर्तमान में गुजरात में कस्टम विभाग में कच्छ कमिशनरेट में एडिशनल कमिशनर के पद पर पदस्थापित हैं. देव प्रकाश मीणा जी का जन्म 1 जुलाई 1978 में राजस्थान के दौसा जिले की महवा तहसील के बीरासना गाँव में हुआ था.
उनका भरण-पोषण साधारण से परिवार में ग्रामीण परिवेश में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और माध्यमिक शिक्षा के लिए उन्हें गाँव से २ कि.मी. दूर पैदल चल कर स्कूल जाना पड़ता था. पढाई के साथ-साथ वह गाँव-घर, खेती-बाड़ी, पशुओं इत्यादि के सारे काम में भी परिश्रम करते थे. उन्होंने राजस्थान कॉलेज, राजस्थान यूनिवर्सिटी से बी.ए इतिहास ऑनर्स में स्नातक पूरा किया. अंग्रेजी साहित्य सब्सिडियरी सब्जेक्ट था. वहां रहने के दौरान ही उन्हें यूपीएससी सिविल सर्विसेज के बारे में मालूम चला. सामान्य अध्ययन पढ़ने के दौरान ही उन्हें ज्ञात हुआ कि ये सब तो वो बचपन में पिताजी द्वारा लायी गयी बाल साहित्य कीकिताबों से ही जुड़ी बातें हैं. देव प्रकाश मीणा अपने पिता के बारे में बताते हैं कि बचपन में उनके पिता बाल साहित्य की किताबें उन्हें ला कर देते थे और उनसे जुड़ी कहानियों को पढ़ते ही उनका बचपन बीता. उनकी माता स्व. द्रौपदी देवी उन्हें नैतिकता, सदाचार, भलाई, मेहनत, तपस्या, धार्मिक कहानियों के बारे में बताती थी जिससे उनका सामान्य ज्ञान बढ़ता गया, जिसने बाद में उनके व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण में काफी अहम् भूमिका निभाई.
चूँकि देव प्रकाश मीणा का बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जहाँ उन्हें दैनिक जीवन की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ता था तो सिविल सर्विस की तैयारी करते समय ही ये बातें उनके मन में थी कि कैसे गाँव में ,समाज में और दलित -आदिवासी वर्ग में सकारात्मक बदलाव लाया जाए जिसका हिस्सा महिलाएं भी हो. उनकी यह समझ यूपीएससी के पाठ्यक्रम में सोशल इश्यूज पढ़ने के दौरान और भी विकसित हुई. देव प्रकाश मीणा स्नातक के बाद प्रथम प्रयास में स्टेट पी.एस.सी यानी राज्य लोकसेवा आयोग की आरएएस परीक्षा में सफल हो चुके थे , लेकिन उनकी इच्छा यूपीएससी की थी, जिसके लिए वो दिल्ली आये और 'दृष्टि - द विज़न' संस्थान में दाखिला लेकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की.
इस दौरान संस्थान के शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति से पढ़ने के दौरान ही वह काफी प्रभावित हुए. उन्होंने निर्णय किया कि - मैं सिविल सेवा में आने के बाद जिस भी पद पर रहूँगा संविधान का पालन करूँगा और संवैधानिक दायरे में ही गरीब,वंचित वर्ग के लिए काम करूंगा और आज वह अपने उस निर्णय पर आज भी कायम है. इसी प्रकार कोरोना काल में दुबई के पास अज़मान में राजस्थान के 16 भूखे मजदूरों में से एक ने उनकी फेसबुक पोस्ट पर कमेंट किया कि हम बिना डॉक्युमेंट के एक कोठरीनुमा कमरे में बंद हैं. मकान मालिक ने घर खाली करा दिया है और एजेंट ने डॉक्युमेंट ले लिए हैं. देव प्रकाश मीणा ने हॉंगकॉंग में अपने मित्र समर अनार्य से सम्पर्क किया, उन्होंने अपने दुबई में मित्रों से सम्पर्क किया और इस तरह उन्हें उसी दिन राशन सामग्री पहुंचाई और कुछ दिनों बाद उन्हें भारत आने में इनके मित्रों ने मदद की. इसी प्रकार कोरोना काल में हजारों लोगों की विभिन्न प्रकार की मदद की.
देव प्रकाश मीणा सोशल मीडिया का उपयोग गरीब, जरूरतमंद लोगों के लिए क्राउड फंडिंग और लोगों में सकारत्मकता लाने, जनता और सरकार के बीच संवाद और सहयोग को स्थापित करने में करते हैं. कोरोना काल के दौरान भी उन्हें पैदल चल रहे मजदूरों की जानकारी ऑनलाइन शेयर करके उन तक मदद पहुंचवाई. देव प्रकाश मीणा युवाओं के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं . वह युवाओं का समय-समय पर मार्गदर्शन करते हैं उन्हें करियर सलाह देकर प्रोत्साहित भी करते हैं जिसके कारण कई युवा आज अपने जीवन में सफल हो पाए हैं. इसके साथ वह समाज के लोगों को भी विभिन्न प्रकार की बुराइयों के प्रति जागरूक करते हैं. देव प्रकाश मीणा कुशल सिविल सर्वेंट के साथ एक बेहतरीन इंसान भी हैं, उनकी उपस्थिति चाहे समाज में हो या सोशल मीडिया में , वह सकारात्मक बदलाव का प्रतिनिधित्व कर रही है जो हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है.