गुजरात

इंटरनैशनल किडनी चोरी रैकेट का हुआ था खुलासा, 5 साल बाद गवाह मुकरे, अब सभी आरोपी बरी

Kunti Dhruw
26 Jan 2022 1:35 PM GMT
इंटरनैशनल किडनी चोरी रैकेट का हुआ था खुलासा, 5 साल बाद गवाह मुकरे, अब सभी आरोपी बरी
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पांच साल पहले गुजरात में किडनी कांड सामने आया।

अहमदाबाद: पांच साल पहले गुजरात में किडनी कांड सामने आया। पंडोली इलाके के क गांव में पीड़ित ने आरोप लगाया कि गांव के कई लोगों को रुपयों का लालच देकर उनकी किडनी निकलवाई गई। इस मामले ने तूल पकड़ा और पुलिस ने जांच के बाद अंतरराष्ट्रीय किडनी रैकेट का खुलासा किया।

हालांकि, गुजरात को हिला देने वाला यह मामला कोर्ट में साबित नहीं हो सका। 13 पीड़ितों को गवाह के तौर पर अदालत में पेश किया गया। गवाहों ने अदालत को यह बताने से इनकार कर दिया कि उनकी किडनी किसने चुराई, जबकि बाकी ने स्वीकार किया कि उन्होंने पैसों के लिए अपनी किडनी बेच दी थी। अदालत ने पांचों आरोपियों को बरी कर दिया क्योंकि पीड़ितों ने जबरदस्ती या लालच में किडनी बेचने की बात नहीं स्वीकार की।

13 पीड़ितों को पुलिस ने बनाया था गवाह
पंडोली गांव आनंद जिले में पड़ता है। यह गांव चारोतार के समृद्ध एनआरजी समृद्ध बेल्ट में आता है। फरवरी 2016 में यह गांव तब सुर्खियों में आया जब पेटलाड पुलिस ने अमीरमिया मालेक की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की। अमीरमिया ने आरोप लगाया कि उसकी किडनी सहमति के बिना निकाल ली गई। उसने यह भी बताया कि उसे इसके लिए 2.3 लाख रुपये मिले। जांच में पुलिस को इस तरह के 13 पीड़ित मिले। 11 पंडोली से, एक-एक चांगा और कानाजरी गांवों से।
पीड़ितों में ज्यादातर कर्ज में डूबे किसान और दिहाड़ी मजदूर थे, जिन्हें कथित तौर पर नई दिल्ली, चेन्नै और श्रीलंका के अस्पतालों में ले जाया गया था। वहां उनकी किडनी निकाल दी गई। पुलिस ने मुकुल चौधरी को वालोद से, शेरालेखन पठान को अहमदाबाद से, रफीक वोहरा को पंडोली से, जावेदखान दाउदखान को मुंबई से और कथित मास्टरमाइंड संतोष उर्फ अमित राउत को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया।
39 गवाह किए गए पेश
जब पेटलाड शहर में एक सत्र अदालत के समक्ष सुनवाई हुई, तो अभियोजन पक्ष ने 10 पीड़ितों सहित 39 गवाहों को पेश किया, लेकिन किसी ने भी ऐसा सबूत नहीं दिया जो आरोप सिद्ध कर सके। उन सभी का कहना था कि वे डॉक्टर को नहीं जानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी किडनी सहमति से निकाली गई।
एक पीड़ित, अरविंद गोहेल ने कहा कि उसे अपने परिवार के मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए पैसे की सख्त जरूरत थी। उन्हें पहले चेन्नै और फिर श्रीलंका ले जाया गया जहां उनकी किडनी निकाल दी गई। अदालत ने कहा कि यह एक अलग मामला था, लेकिन पुलिस ने इसकी जांच नहीं की। पीड़ितों के एक जोड़े ने कहा कि उन्होंने अपने परिचितों को अपनी किडनी दान कर दी थी और बदले में उन्हें पैसे मिले थे। एक अन्य पीड़ित, अशोक गोहेल ने बयान दिया कि उसने अपनी मां के इलाज के लिए अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए थे। गहने वापस छुड़ाने के लिए उसने अपनी किडनी बेच दी। हितेन रावल ने अदालत को बताया कि उसने अपने पिता के कैंसर के इलाज के लिए अपनी किडनी बेची।
सभी आरोपी बरी
आरोपियों को 12 जनवरी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, एस एम टैंक ने देखा कि कई पीड़ित मुकर गए। जज ने कहा कि केवल पीड़ित ही इस बात का सबूत दे सकते हैं कि उनके अंगों को किसने, कैसे और कहां निकाला। सभी पीड़ित-गवाहों ने बयान दिया है कि उन्होंने अपनी इच्छा से अपनी किडनी दी है, और किडनी किसे दी गई इसका कोई सबूत नहीं है।
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